समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code): देश एक, संविधान एक फिर कानून अलग-अलग

वैसे तो यूनिफॉर्म सिविल कोड की बहस देश में बहुत पुरानी है, लेकिन अब केन्द्र सरकार ने देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है। सरकार ने लॉ कमीशन से इसके बारे में राय मांगी है। सबसे पहले हम आपको ये बताते हैं कि इस मुद्दे पर क्या हुआ, उसके बाद हम यूनिफॉर्म सिविल कोड को डिकोड करेंगे और आसान शब्दों में आपको इस पूरे मुद्दे के हर पहलू की जानकारी देंगे। 

UCC-केन्द्र सरकार ने लॉ कमीशन को यूनिफॉर्म सिविल कोड के सभी पहलुओं की जांच करने को कहा है।
-कानून मंत्रालय ने कमीशन को इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है। 
-इसके अलावा सरकार अलग-अलग पर्सनल लॉ बोर्ड्स से भी इस मुद्दे पर एकराय बनाने के लिए बात करेगी। 

-देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट भी कह चुकी है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर समाज में और अदालत में बड़ी बहस होनी चाहिए। 
 लॉ कमीशन कानूनों पर सरकार को सिर्फ़ सलाह देता है और कमीशन की रिपोर्ट को मानने के लिए सरकार किसी भी रूप में बाध्य नहीं है।

समान नागरिक संहिता का मुद्दा क्या है और इसे लेकर क्या विवाद है

-यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ है भारत के सभी नागरिकों के लिए समान यानी एक जैसे नागरिक कानून।
-शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। फिलहाल हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के तहत करते हैं।
-समान नागरिक संहिता एक पंथनिरपेक्ष कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है।
-ये किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है।
-संविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्‍छेद 44 के तहत राज्‍य की जिम्‍मेदारी बताया गया है, लेकिन ये आज तक देश में लागू नहीं हो पाया। 
-लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू नहीं होने से हम वर्षों से संविधान की मूल भावना का अपमान कर रहे हैं। 

अब सवाल ये उठता है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कहां पर दिक्कतें आ रही हैं। कई लोगों का ये मानना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाने से देश में हिन्दू कानून लागू हो जाएगा जबकि सच्चाई ये है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड एक ऐसा क़ानून होगा जो हर धर्म के लोगों के लिए बराबर होगा और उसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं होगा।

-फिलहाल मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का पर्सनल लॉ है जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं।
-अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाए तो सभी धर्मों के लिए एक जैसा कानून होगा।
-यानी शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों ना हो।
-फिलहाल हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी क़ानूनों के तहत करते हैं।
-मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए इस देश में अलग कानून चलता है जो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के ज़रिए लागू होता है। 
-मुसलमानों में ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर इन दिनों देश में खूब बहस चल रही है और इसे हटाने की मांग की जा रही है। मुसलमानों में तलाक मुस्लिम पर्सनल लॉ यानी शरिया के ज़रिए होता है। 
-वैसे निजी कानूनों का ये विवाद अंग्रेज़ों के ज़माने से चला आ रहा है।
-उस दौर में अंग्रेज मुस्लिम समुदाय के निजी कानूनों में बदलाव करके उनसे दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहते थे।                                      
-आज़ादी के बाद वर्ष 1950 के दशक में हिन्दू क़ानून में तब्दीली की गई लेकिन दूसरे धर्मों के निजी क़ानूनों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
-यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने में सबसे बड़ी समस्या ये है कि इसके लिए क़ानूनों में ढेर सारी तब्दीलियां करनी पड़ेंगी।

दूसरी समस्या ये है कि तमाम राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग वजहों से इस मुद्दे पर बहस नहीं करना चाहतीं क्योंकि ये उनके एजेंडे को सूट नहीं करता और इससे उनके वोट बैंक को नुकसान हो सकता है जिसका नतीजा ये है कि देश आज भी अलग-अलग क़ानूनों की जंज़ीरों में जकड़ा हुआ है।

दुख इस बात का है कि जो बहस आज से 50-60 साल पहले ख़त्म हो जानी चाहिए थी, हम आज तक उसे ठीक से शुरू भी नहीं कर पाए हैं। अगर हम धार्मिक आधार पर बनाए गए पुराने कानूनों से मुक्ति पा लेते तो देश अब तक ना जाने कितना आगे बढ़ चुका होता, ये सिर्फ कानून का नहीं बल्कि सोच का विषय है। 

फ्रांस में कॉमन सिविल कोड लागू है जो वहां के हर नागरिक पर लागू होता है। यूनाइटेड किंगडम के इंग्लिश कॉमन लॉ की तर्ज पर अमेरिका में फेडरल लेवल पर कॉमन लॉ सिस्टम लागू है। ऑस्ट्रेलिया में भी इंग्लिश कॉमन लॉ की तर्ज पर कॉमन लॉ सिस्टम लागू है। जर्मनी और उज़बेकिस्तान जैसे देशों में भी सिविल लॉ सिस्टम लागू हैं।

धर्म पर आधारित कानूनों की ज़ंजीरों से आज़ादी का एकमात्र रास्ता ये है कि सबके लिए समान क़ानून बनाए जाएं। लोगों को इस बात पर यकीन होना चाहिए कि उनके साथ राजनीति नहीं होगी बल्कि न्याय होगा। इसलिए यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करके कानून को धार्मिक जंज़ीरों से मुक्त करना ज़रूरी है। ये देश को विकास के रास्ते पर बढ़ाने वाला कदम साबित हो सकता है।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download