क्या कहा न्यायालय ने:
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जल्लीकट्टू के महज सदियों पुरानी प्रथा होने के कारण इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।
- जल्लीकट्टू: के सदियों पुरानी होने भर से यह नहीं कहा जा सकता कि यह कानूनी या कानून के तहत अनुमति देने योग्य है। सदियों से 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की शादी होती थी। क्या इसका यह मतलब है कि बाल विवाह कानूनी है?
- कोर्ट ने कहा, जलीकट्टू को क्या इजाजत दे देनी चाहिए भले ही वो 5000 साल पुरानी परंपरा हो और कानून के दायरे से बाहर हो। अगर तमिलनाडू सरकार हमें संतुष्ट करे कि हमारा रोक लगाने का फैसला सही नहीं तो मामले को संवैधानिक बेंच को भेज देंगे।
क्या है यह खेल :
तमिल लोगों के बीच पोंगल उत्सव के समय जलिकट्टू सबसे अधिक पसंदीदा खेल है। यह बैलों से जुड़ा एक पारंपरिक खेल है।
Background:
जानवरों के साथ बर्बर व्यवहार के चलते यह खेल काफी विवादास्पद हो गया है, जिसके लिए पशु कल्याण बोर्ड ने हाल ही में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। याचिका के तहत उसने इस खेल पर पाबंदी लगाने की माँग की थी। अदालत ने इस खेल पर रोक लगा दी थी, परंतु बाद में इसे सशर्त जारी रखने पर सहमति जताई थी।
केंद्र सरकार ने जलीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया और कहा कि जलीकट्टू से रोक हटाई जानी चाहिए। यह कोई खूनी खेल नहीं है, न ही सांडों को कोई नुकसान होता है। यह पुरानी परंपरा है जिसमें 30 सेकेंड से लिए सांड को काबू कर शक्ति प्रदर्शन किया जाता है। यह परंपरा महाभारत काल में भी थी जब श्रीकृष्ण ने कंस के महल में सांड को काबू किया और कौशल की राजकुमारी से शादी करने के लिए सात सांडों को काबू करने की कथा भी है। केंद्र ने तमाम कदम उठाए हैं कि खेल के दौरान सांड को कोई नुकसान