पड़ोसी देश से आए शरणार्थियों को राहत प्रदान करने के वायदे को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 पेश किया ताकि इन देशों के हिन्दू, सिख एवं अन्य अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान की जा सके चाहे उनके पास जरूरी दस्तावेज हो या नहीं।
- विधेयक के कारण और उद्देश्यों में कहा गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के कई भारतीय मूल के लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया है लेकिन उनके पास भारतीय मूल के होने के सबूत उपलब्ध नहीं है।
- इसलिए उन्हें नागरिकता कानून के तहत नैसर्गिक नागरिकता के लिए 12 वर्ष तक देश में रहना जरूरी होता था।
- प्रस्तावित विधेयक के माध्यम से नागरिकता अधिनियम की अनुसूची 3 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया ताकि वे 12 वर्ष की बजाए 7 वर्ष पूरा करने पर वे नागरिकता के पात्र हो सके।