भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया।
यह कदम क्यों
- पीसीआई ने 17 मार्च को स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रेस की स्वतंत्रता को संरक्षण प्रदान करने के प्रति सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की उदाशीनता की जांच करने का निर्णय किया था जो उसे प्रेस परिषद अधिनियम के तहत प्रदत्त है। परिषद ने 11 अप्रैल को अरोड़ा को उपस्थित होने का निर्देश दिया था।
- पीसीआई ने यह कदम अपने समन पर सोमवार को उनके उपस्थित नहीं होने पर उठाया।
भारतीय प्रेस परिषद
- एक संविघिक स्वायत्तशासी संगठन (Statutory Body) है
- यह प्रेस के लिए तथा प्रेस की ओर से प्रेस के एक प्रहरी की तरह कार्य करती है। यह क्रमशः नीतिशास्त्र तथा प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन के लिए प्रेस के विरुद्ध तथा प्रेस द्वारा दर्ज शिकायतों के न्याय-निर्णय करती है।
- यह अर्ध न्यायिक निकाय (Quasi-Judicial Body) है
सदस्य एवम् योग्यता
- परिषद् में 2 8 अन्य सदस्य हैं जिनमें से 2 0 प्रेस का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा मान्यताप्राप्त प्रेस संगठनों / समाचार एजेंसियों द्वारा नामित किये जाते हैं और श्रेणियों, जैसे: सम्पादकों, श्रमिक पत्रकारों तथा समाचारपत्रों व समाचार एजेंसियों के स्वामियों तथा प्रबंधकों के अखिल भारतीय निकायों के रूप में परिषद् द्वारा अधिसूचित किये जाते हैं।
- 5 सदस्य संसद के दोनों सदनों द्वारा नामित किये जाते हैं
- तीन सदस्य साहित्य अकादमी, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा भारतीय विधिज्ञ परिषद् के नामित के रूप में सांस्कृतिक, साहित्ययिक व विधिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सेवाकाल
यह सदस्य परिषद् को तीन वर्ष की सेवावधि तक सेवा प्रदान करते हैं। सेवानिवृत होने वाला सदस्य एक सेवावधि से ज्यादा के लिए पुनःनामित नहीं किया जा सकता