ओएनजीसी-रिलायंस गैस माइग्रेशन विवाद पर जस्टिस (सेवानिवृत्त) एपी शाह समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है.
★द इकॉनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसमें दोनों ही कंपनियों पर उंगली उठाई गई है. समिति ने कहा है कि रिलायंस को गलत तरीके से ओएनजीसी के गैस ब्लॉक से फायदा हुआ और कंपनी से हर्जाना वसूला जाए. रिपोर्ट में ओएनजीसी की भूमिका की भी जांच करने की सिफारिश की गई है.
★यह मामला कृष्णा गोदावरी यानी केजी बेसिन में एक दूसरे से लगते इन कंपनियों के दो गैस ब्लॉकों से जुड़ा हुआ है. ओएनजीसी ने आरोप लगाया था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अवैध तरीके से उसकी गैस निकाल ली. उसका कहना था कि रिलायंस ने जानबूझकर दोनों ब्लॉकों की साझा सीमा पर ड्रिलिंग की जिसके चलते उसके गैस ब्लॉक से 11.12 अरब क्यूबिक मीटर गैस आरआईएल के ब्लॉक में चली गई जिसकी कीमत करीब 30 हजार करोड़ रु बैठती है.
★एपी शाह समिति मुताबिक यह जांच होनी चाहिए कि क्या दोनों ही कंपनियों को गैस भंडार के इस तरह जुड़े होने के बारे में पता था और उन्होंने जानबूझकर सालों तक यह जानकारी छिपाई. रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस को 2003 तक दोनों गैस भंडारों के आपस में जुड़े होने की बात पता चल चुकी थी. ओएनजीसी को भी 2007 तक कुछ हद तक यह अंदाजा हो चुका था लेकिन उसने छह साल तक कुछ नहीं किया.
★रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस को जब यह बात पता चल गई थी तो उसे सरकार को बताना चाहिए था और इस ब्लॉक को संयुक्त रूप से विकसित करने की इजाजत मांगनी चाहिए थी.
★रिपोर्ट के शब्दों में, 'लेकिन रिलायंस ने ऐसा नहीं किया. इधर से उधर गई गैस कंपनी को उपहार या दान के रूप में नहीं दी गई तो कंपनी ने जो किया उसे कानूनी रूप से सही नहीं ठहराया जा सकता.' रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस अनुचित तरीके से फायदे की स्थिति में रही है.