- केंद्र सरकार ने पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की बढ़ती मांग को देखते हुए नया आयोग बनाने का फैसला किया है। नया आयोग वर्तमान में मौजूद राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग की जगह लेगा। इसे संवैधानिक दर्जा भी दिया जाएगा। वर्तमान में मौजूद ओबीसी आयोग का संवैधानिक दर्जा नहीं है।
- नए आयोग का नाम नेशनल कमीशन फॉर सोशल एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लासेज (एनएसईबीसी) रखा जाएगा। इस आयोग की सिफारिश के बाद संसद पिछड़ा वर्ग में नई जातियों के नाम जोड़े जाने या हटाए जाने पर फैसला करेगी। इस आयोग के गठन के लिए संविधान संशोधन प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
- वर्तमान में ओबीसी सूची में जातियों के नाम जोड़ने या हटाने का काम सरकार के स्तर पर होता है। नया आयोग सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़ों को परिभाषित करेगा।
- देश के अलग-अलग राज्यों में कई जातियां आरक्षण की मांग कर रही है। हरियाणा में जाट आंदोलन नए आयोग का गठित किए जाने के फैसले के पीछे बड़ी वजह बताई जा रही है।
- सरकार ने नेशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लास एक्ट 1993 को रद्द करने का फैसला किया गया है। इसके रद्द होने से वर्तमान में मौजूद ओबीसी आयोग भंग हो जाएगा। इसकी जगह संविधान संशोधन कर अनुच्छेद 338बी को जोड़ा जाएगा।
नए आयोग का स्वरुप :-
- इस आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे। विभिन्न वर्गों की ओर से पिछड़े वर्ग में शामिल किए जाने की मांग पर भी विचार यही करेगा। साथ ही पिछड़ा वर्ग की सूची में किसी खास वर्ग के ज्यादा प्रतिनिधित्व या कम प्रतिनिधित्व पर भी यही सुनवाई करेगा।
- पिछड़ा वर्ग की केंद्रीय सूची में किसी भी वर्ग को जोड़ने या हटाने के लिए संसद की स्वीकृति लेने संबंधी अनुच्छेद 342ए जोड़ा जाएगा। यह भी तय किया गया है कि आयोग की सिफारिश सामान्य तौर पर सरकार को माननी ही होगी।
इसलिए नया आयोग बनाने का फैसला
--अनुसूचित जाति के लिए राष्ट्रीय आयोग और अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग की तर्ज पर पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग बनाने की मांग की जा रही थी। इसे ओबीसी की शिकायतें सुनने के लिए संवैधानिक दर्जा दिया जाए।
क्या है मौजूदा पिछड़ा वर्ग आयोग
-- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 में बना था।
-- यह वैधानिक संस्था है। इसके तहत सरकार के स्तर पर ही फैसले होते हैं।
--आयोग का एक अध्यक्ष होता है और चार अन्य सदस्य होते हैं।
--यह कानून एक फरवरी, 1993 से जम्मू-कश्मीर छोड़कर पूरे भारत में लागू है।
--इसका काम किसी वर्ग को पिछड़ों की सूची में शामिल किए जाने के अनुरोधों की जांच करना है।
--आयोग केंद्र सरकार को ऐसे सुझाव देता है, जो उसे उचित लगता है।
--यह किसी व्यक्ति को समन करने और हाजिर कराने का अधिकार रखता है।
--आयोग किसी भी दस्तावेज को प्रस्तुत करने को भी कह सकता है।