कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक के कोडागु में होता है। 802 किलोमीटर लंबी ये नदी तमिलनाडु के 44 हज़ार वर्ग किलोमीटर और कर्नाटक के 32 हज़ार वर्ग किलोमीटर इलाके से होकर गुज़रती है।
- तमिलनाडु का कहना है कि उसने कावेरी नदी के किनारे पर 3 लाख एकड़ यानी करीब 12 हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन को कृषि के लिए विकसित किया है। इसलिए तमिलनाडु की कावेरी नदी पर निर्भरता काफी ज्यादा है। जबकि कर्नाटक का कहना है कि कावेरी नदी को लेकर पहले जितने भी समझौते हुए हैं उनमें कर्नाटक का हक मारा गया है।
#क्या था समझौता :-
- कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी को लेकर विवाद करीब 135 वर्ष पुराना है।
-भारत में ब्रिटिश राज के वक्त कर्नाटक प्रिंसली स्टेट ऑफ मैसूर के तहत आता था जबकि तमिलनाडु मद्रास प्रेजिडेंसी का हिस्सा था।
-कावेरी नदी को लेकर 1892 में प्रिंसली स्टेट ऑफ मैसूर और मद्रास प्रेजिडेंसी के बीच एक समझौता हुआ।
-1910 में मैसूर के राजा नलवडी कृष्णराजा वोडियर ने चीफ इंजीनियर सर एम विश्वेस्वरया के साथ मिलकर कावेरी नदी पर एक बांध बनाने का प्रस्ताव दिया जिसे मद्रास ने ठुकरा दिया।
-इसके बाद 1924 में कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक बार फिर एक समझौता हुआ जिसका पालन दोनों राज्य कुछ वर्षों तक करते रहे।
=>विवाद के कारण
-लेकिन 1956 में भारत के राज्यों को पुनर्गठित किया गया इस पुनर्गठन के दौरान तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुद्दुचेरी का नक्शा बदल गया।
-जिसके बाद कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुद्दुचेरी आमने सामने आ गए।
-विवाद को देखते हुए 1970 कावेरी तथ्यान्वेषी कमेटी बनाई गई।
-तमिलनाडु ने बड़े कृषि क्षेत्रों का हवाला दिया औऱ ज्यादा पानी मांगा जबकि कर्नाटक ने ब्रिटिश काल में बनाई गई योजनाओं को इसके लिए दोषी ठहराया।
-ज्यादा बड़ा कृषि क्षेत्र होने की वजह से तमिलनाडु अपने लिए ज्यादा पानी मांग रहा था लेकिन कर्नाटक इसके लिए तैयार नहीं था।
=>विवाद के हल के लिए अब तक की कोशिश :-
-विवाद का हल ना निकलने पर 1990 में कावेरी वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई।
-ट्रिब्यूनल ने 16 वर्षों तक चली सुनवाई के बाद 2007 में अपना फैसला सुनाया।
-ट्रिब्यूनल ने दोनों राज्यों के बीच 1892 और 1924 में हुए समझौतों को सही पाया।
-ट्रिब्यूनल ने कावेरी नदी का 58 प्रतिशत पानी तमिलनाडु को 37 प्रतिशत पानी कर्नाटक को 4 प्रतिशत केरल को और 1 प्रतिशत पुद्दुचेरी को देने का फैसला सुनाया था।
-लेकिन इस फैसले को पूरी तरह मानने के लिए कभी भी कोई राज्य तैयार नहीं हुआ।
-जब कभी दक्षिण भारत के इन इलाकों में मॉनसून की बारिश अच्छी नहीं होती है तो इन राज्यों के बीच कावेरी नदी को लेकर विवाद बढ़ जाता है।
-पिछले 20 वर्षों में कई बार सुप्रीम कोर्ट और कावेरी सुपरवाइजरी कमेटी को विवाद सुलझाने के लिए दखल देना पड़ा है।