संविधान के दायरे से परे नहीं है जम्मू-कश्मीर: SC

क्या था मामला :

फैसला जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक की अपील पर आया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य को अपने स्थायी निवासियों की अचल संपत्तियों के अधिकारों के संबंध में कानून बनाने का ‘पूर्ण संप्रभु अधिकार’ है। संसद में बनाया गया कानून अगर राज्य विधानसभा में बनाए गए कानून को प्रभावित करता है, तो उसे जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं किया जा सकता। जबकि, ‘सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनांशियल असेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंट्रेस्ट एक्ट-2002’ (एसएआरएफएईएसआइ) जम्मू-कश्मीर के ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट-1920 को प्रभावित करता है। एसएआरएफएईएसआइ के तहत बैंकों को अदालती प्रक्रिया के बाहर रहकर अपने सुरक्षा हितों के लिए कर्जदार की गिरवी रखी गई संपत्तियों पर कब्जा कर उसे बेचने का अधिकार हासिल है

क्या कहा था HC ने

जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने कहा था, 'संसद के पास कानून बनाने की पात्रता नहीं है..., अगर ये राज्य से जुड़े हों।' जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने कहा था कि कश्मीर संप्रभु राज्य है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि भारतीय संविधान के बाहर जम्मू-कश्मीर को कोई भी शक्ति नहीं दी जा सकती है।

SC का तर्क :

सुप्रीम ने कहा,

  • ‘हाई कोर्ट के फैसले की शुरुआत ही गलत छोर से हुई और इसका निष्कर्ष भी गलत ही निकला। यह कहता है कि जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा-5 के मुताबिक राज्य को उसके स्थायी निवासियों की अचल संपत्ति के अधिकारों के बारे में कानून बनाने का पूर्ण संप्रभु अधिकार है।
  • जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी भारत के नागरिक हैं और यहां दोहरी नागरिकता नहीं है’
  • एसएआरएफएईएसआइ के प्रावधान संसद की विधायी क्षमता के दायरे में हैं और उन्हें जम्मू-कश्मीर में लागू किया जा सकता है।
  •  देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राज्य के निवासियों के बारे में उनकी संप्रभुता की अलग और विशिष्ट वर्ग का होने जैसी व्याख्या पूरी तरह गलत है।
  • सुप्रीम ने कहा, ‘यह दोहराना बेहद जरूरी है कि जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा-3 यह घोषणा करती है कि जम्मू-कश्मीर राज्य भारतीय संघ का अभिन्न भाग है और रहेगा’।
  • भारत की सबसे बड़ी अदालत ने यह भी कहा कि वह इस तरह से विचार रखने के लिए इसलिए मजबूर हुई है क्योंकि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में संप्रभुता का जिक्र इस तरह से किया है, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है।
  • अदालत की बेंच ने इस बात का भी जिक्र किया कि भारतीय संविधान और जम्मू-कश्मीर के संविधान में कोई टकराव नहीं है।
  • कोर्ट ने कहा, 'भारतीय संविधान का आर्टिकल 1 और जम्मू-कश्मीर के संविधान का सेक्शन 3 से यह साफ होता है कि भारत राज्यों का संघ है। वहीं जम्मू-कश्मीर राज्य भारतीय संघ का अभिन्न हिस्सा है।'

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download