तीन तलाक इस्लाम का हिस्सा है या नहीं

मुस्लिमों में प्रचलित तीन तलाक और निकाह हलाला की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक सुनवाई शुरू हो गई है। कोर्ट ने कहा कि पहले वह तय करेगा कि यह इस्लाम का मौलिक हिस्सा है या नहीं? 

  • पांच जजों की संविधान पीठ ने साफ कर दिया कि बहुविवाह पर फिलहाल विचार नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह तीन तलाक से जुड़ा मुद्दा नहीं है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम विचार करेंगे कि तीन तलाक इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है कि नहीं? और यदि है, तो क्या इसे मौलिक अधिकार के तहत लागू कराया जा सकता है?’ कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि वह इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि तीन तलाक धर्म का मौलिक हिस्सा है, तो वह उसकी संवैधानिक वैधता के सवाल में नहीं जाएगा। 
  • याचिकाकर्ताओं ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों में एक बार में तीन तलाक खत्म हो चुका है। भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां भी खत्म होना चाहिए। यह इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। इसलिए इसे धार्मिक आजादी के तहत संरक्षण नहीं मिल सकता

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https://gshindi.com/category/lstv/muslim-personal-law-triple-talaq-and-central-govt-initiative 

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