केंद्रीय कैबिनेट ने कंपनी अधिनियम 2013 के तहत सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी (एसडीसी) के संस्थापन को मंजूरी दी है।
SDC के बारे में विस्तार से :
- एसडीसी जहाजरानी मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में होगी।
- यह विशेष उद्देशीय कंपनी (एसपीवी) परियोजना को इक्विटी सहायता और सागरमाला कार्यक्रम के तहत अवशिष्ट परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
- एसडीसी की स्थापना कंपनी अधिनियम 2013 के तहत 1,000 करोड़ रुपये की प्रारंभिक प्राधिकृत शेयर पूंजी और 90 करोड़ रुपये की सदस्यता शेयर पूंजी के साथ की जाएगी।
- क्या करेगी यह :एसडीसी बंदरगाह आधारित विकास परियोजनाओं की पहचान करेगी और परियोजना एसपीवी को परियोजना विकास एवं ढांचागत गतिविधियों, निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए बोली प्रक्रिया, विभिन्न राज्यों/क्षेत्रों में रणनीतिक परियोजनाओं के लिए जोखिम प्रबंधन के उचित उपाय करने और आवश्यक मंजूरियां हासिल करने में मदद करेगी। एसडीसी विभिन्न एजेंसियों में आपसी सहयोग और वर्तमान में पहचान की गई सभी परियोजनाओं के साथ-साथ मास्टर प्लान या अन्य स्रोतों से उभरने वाली अन्य परियोजनाओं की निगरानी के लिए नोडल एजेंसी की भूमिका निभाएगी। एसडीसी एनपीपी के तहत पहचान किए गए तटवर्ती आर्थिक क्षेत्रों (सीईजेड) के लिए विस्तृत मास्टर प्लान तैयार करेगी और भारतीय समुद्री क्षेत्र के एकीकृत विकास सुनिश्चित करने के लिए एक ढांचा मुहैया कराएगी। पृष्ठभूमि (सागरमाला )
सागरमाला कार्यक्रम को 25 मार्च 2015 को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद लॉन्च किया गया था। इसे भारत में बंदरगाह आधारित आर्थिक विकास के व्यापक उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया है। भारत के 7,500 किलोमीटर लंबे तटवर्ती क्षेत्रों, 14,500 किलोमीटर संभावित जलमार्ग और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्गों के रणनीति स्थानों के दोहन के उद्देश्य से सरकार ने महत्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम तैयार किया जिसे 25 मार्च 2015 को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी दी गई।
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के तहत तटीय और समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए वृहत योजना तैयार की गई है। एनपीपी ने बंदरगाहों के आधुनिकीकरण एवं नए बंदरगाहों के विकास, बंदगाहों के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने, बंदरगाह आधारित औद्योगीकरण एवं तटीय समुदाय विकास के क्षेत्र में 150 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की है।