- शेकटकर समिति : सरकार द्वारा सैन्य बलों की युद्ध क्षमता बढ़ाने और रक्षा व्यय को पुनः संतुलित करने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेकटकर की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था।
- समिति यह स्पष्ट कर चुकी है कि यदि अगले पांच वर्ष में उसकी अधिकतर सिफारिशें लागू कर दी जाती हैं तो सरकार अपने वर्तमान खर्च में से 25,000 करोड़ रुपये तक की बचत कर सकती है। इसका इस्तेमाल भारतीय सैन्य बलों की युद्ध क्षमता बढ़ाने में होगा।
- समिति ने भविष्य के संभावित खतरों को भांपकर सिफारिश की हैं।
- समिति कहती है कि नौसेना और वायुसेना से उलट भारतीय थलसेना को कर्मचारियों के बाहुल्य वाली सेना बनकर रहना होगा। क्योंकि उसे भारत के प्रमुख शत्रुओं चीन और पाकिस्तान के खिलाफ पहाड़ों पर भारी संख्या में तैनाती करनी पड़ती है।
- परिणामस्वरूप भारतीय सेना के लिए बजट बाकी दोनों सेनाओं की अपेक्षा अधिक रहेगा और खरीद के लिए बहुत कम पूंजी बचेगी।
- समिति ने सिफारिश की है कि नई खरीद के लिए प्रत्येक वित्त वर्ष के अंत में रकम वापस कर देने की परंपरा समाप्त करने के लिए नई खरीद हेतु योजना बनाई जाए।