भारतीय सेना द्वारा सीमा पर तकनीक का इस्तेमाल : अब कभी नहीं लांघ पाएंगे भारतीय सीमा को आतंकी

#‎Internal_Security‬

★ भारत के खिलाफ आतंकवादियों के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल करते आ रहे पाक को सबक सिखाने के लिए भारत सरकार ने खासकर आतंकियों की घुसपैठ रोकने के लिए कमर कस ली है। भारत-पाक सीमा के लिए पहले ही मंजूर हो चुकी पांच स्तरीय सुरक्षा चक्र को और मजबूत बनाने के लिए अब ऐसी तकनीक सुरक्षा बलो के पास होगी, जिसमें शायद ही कोई आतंकी पाक से भारतीय सीमा लांघने की हिम्मत कर पाएं।

★कश्मीर घाटी के बिगड़ते हालातों के लिए जिम्मेदार पाक पर सख्त केंद्र सरकार ने सीमापार से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने वाले आतंकियों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को ऐसी तकनीक सौंपने का निर्णय लिया है, जिसमें भारतीय सीमा में घुसने का प्रयास करने वाले किसी भी आतंकी सुरक्षा बलों के रडार पर होगा।

- भारत-पाक सीमा पर तैनात भारतीय सुरक्षा को तीसरी आंख के रूप में सौंपे जाने वाले तकनीकी यंत्र के जरिए घुसपैठ करने वाला आतंकी या काई अन्य घुसपैठिया शायद ही सीमा लांघ सकेगा।

★सरकार ने अत्याधुनिक तकनीकयुक्त फोलिएज पैनिटेटिंग रडार सीमा की चौकसी में लगे सुरक्षा बलों को दिये जा रहे हैं, जिस तीसरी आंख यानि रडारयुक्त कैमरे के जरिए सुरक्षा बलों को घने जंगलों में घुसपैठ की फिराक में छिपे आतंकियों को भी पलभर में खोजा जा सकेगा।
- यही नहीं रडार पर आते ही ऐसे आतंकियों को सुरक्षा बलों की गोलियां घुसपैठ या छिपने से पहले ही अंजाम तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। इससे पहले अप्रैल में ही गृहमंत्रालय ने भारत-पाक सीमा पर घुसपैठ रोकने और आतंकियों से निपटने की दिशा में पांच स्तरीय सुरक्षा को मंजूरी दी थी, जिसके तहत सीमा पर
1. सीसीटीवी कैमरे लगाने,
2. थर्मल इमेज और रात में देखे जाने वाले उपकरण स्थापित करने,
3. लड़ाई क्षेत्रों में निगरानी के लिए इस्तेमाल होने वाले रडार के अलावा
4. अंडरग्राउंड मॉनिटरिंग सेंसर्स का इस्तेमाल करने की सुरक्षा बलों को इजाजत देना शामिल है। गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट का कोड नाम ऑपरेशन चक्रव्यूह रखा गया है। इस पूरे प्लान के पहले चरण के लिए जम्मू-कश्मीर में 18 से 20 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

=>उच्च स्तरीय बैठक का नतीजा

★पाकिस्तान की ना-पाक हरकतों के बाद भारत ने पश्चिमी देशों में आतंकवादियों के खिलाफ उपयोग की जा रही तकनीक का सहारा लेने की योजना पहले ही तैयार कर ली थी। सूत्रों के अनुसार फोलिएज पैनिटेटिंग रडार जैसी तकनीक के इस्तेमाल की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी मंजूरी दे दी है। बताया जाता है कि पिछले दिनों कश्मीर के हालातों पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ सुरक्षा एजेंसियों और सुरक्षा बलों के प्रमुखों के की उच्च स्तरीय बैठक में लिए गये निर्णय के तहत इस तकनीक के इस्तेमल की सुरक्षा बलों को इजाजत दी गई है। भारत-पाक सीमा पर आतंकवादियों की घुसपैठ को हर हालत में रोकने के लिए गंभीर केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के साथ एलओसी पर इस रडार के सहारे एक ऐसी अभेद्य दीवार खड़ी करने का फैसला इसलिए भी लिया गया है कि आतंकवादी कश्मीर घाटी में किसी वारदात को अंजाम देने से पहले सुरक्षा बलों के निशाने पर आ सकें।

=>ऐसे काम करेगी तीसरी आंख

★गृह मंत्रालय की कश्मीर घाटी के हालातों पर उच्च स्तरीय बैठक में सुरक्षा बलों को सौंपी जा रही तीसरी आंख जहां आतंकियों की आफत बनेगी, वहीं सुरक्षा बलो को आतंकियों से पहले अपनी कार्यवाही करने का मौका मिलेगा।
★फोलिएज पैनिटेटिंग रडार को इस्तेमाल के लिए सीमाओं पर सुरक्षा बलों की चौकियों के अलावा अलग-अलग लोकेशन पर फिट किया जाएगा। वहीं रडार को एक सैंट्रल मॉनिटिरीग कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा, जिसके कारण यह किसी भी गतिविधि को पकड़ने के साथ उस जगह की फोटो और वीडियो बना कर सीधा कंट्रोल रूम तक पहुंचाएगा।
★इस तकनीक के सहारे आतंकियों की लोकेशन और संख्या के साथ ही उनके पास मौजूद हथियार और गोला बारूद की जानकारी भी कंट्रोल रूम तक मुहैया कराएगा।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download