आइएस (IS) का बढ़ता खतरा

क्यों भारत को सतर्क रहना चाहिए

  • आजकल आतंकी घटनाएं जिस निरंतरता से हो रही हैं वह हमारे लिए चिंता का विषय होना चाहिए। यह मानकर चलना कि हमारे देश में युवाओं का कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो इस्लामिक स्टेट यानी आइएस के जेहादी दर्शन की ओर आकर्षित हो रहा है, बहुत खतरनाक होगा।
  • गृह मंत्रलय बार-बार कहता है कि इस्लामिक स्टेट की पैठ भारत में बहुत सीमित है। यह तथ्य भले अपनी जगह सही हो, लेकिन जैसा कि अमेरिका ने आतंकवाद पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में लिखा है, भारत में जिस प्रकार आइएस का ऑनलाइन प्रचार चल रहा है, उससे उसे बहुत खतरा है।
  • लेखक तुफैल अहमद के लेख के अनुसार देश के तमाम छोटे-बड़े शहरों-जैसे छपरा, देहरादून, अलीगढ़, भीलवाड़ा, इंदौर और जबलपुर में युवाओं का एक वर्ग आइएस के दर्शन का समर्थन करता है।
  • तुफैल अहमद के अनुसार यह मदरसों में दी जाने वाली शिक्षा का कुप्रभाव है। 
  • हाल  में कुछ ऐसी घटनाएं हुईं जिनसे ऐसा लगने लगा है कि आइएस के आतंकी भारत की सीमाओं पर न केवल दस्तक दे रहे हैं, बल्कि घुसपैठ भी कर चुके हैं। जैसे की बंगलादेश में हुआ हमला

सोशल मीडिया और IS का फैलता झाल

  • भारत में जिस तरह इंटरनेट और मोबाइल फोन का प्रसार बढ़ रहा है, पढ़े-लिखे युवाओं का आतंकवाद की तरफ आकर्षित होना देश की सुरक्षा-व्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
  • आइएस भले ही इराक-सीरिया में अपनी जमीन खो रहा हो, परंतु विदेशों में उसका फैलाव जिस तेजी से बढ़ रहा है वह सभी देशों और विशेष रूप से मुस्लिम आबादी वाले देशों के लिए खतरे की घंटी है। 
  • कुछ युवा IS से प्रभावित होकर भारत में दंगा करने की फिराक में थे|
  •  हाल में नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी-एनआइए ने हैदराबाद में आइएस के एक मॉड्यूल के 11 युवाओं को गिरफ्तार किया। कहा जाता है कि ये युवा चारमीनार के निकट भाग्यलक्ष्मी मंदिर में गोमांस रखकर सांप्रदायिक दंगा कराना चाहते थे। विशिष्ट व्यक्तियों पर हमला करने की भी उनकी योजना थी।

क्या हमारी सुरक्षा IS को निपटने में सक्षम है

यदि हमारी आंतरिक सुरक्षा सदृढ़ होती तो हमें चिंता करने का कोई कारण नहीं था। हम किसी भी स्थिति से निपट लेते, परंतु दुर्भाग्य से ऐसा नहीं है। आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था न केवल लचर है, बल्कि उसको सुदृढ़ बनाने की दिशा में उदासीनता भी है। 

  • कुछ सराहनीय कदम जैसे की  नेशनल सिक्योरिटी गार्ड का विकेंद्रीकरण, आतंकवाद निरोधक प्रशिक्षण देने वाले केंद्रों की स्थापना, एनआइए का गठन और तटीय सुरक्षा योजना तैयार करना इस दिशा में उल्लेखनीय कदम थे पर reform का यह दौर थम सा गया है
  • पुलिस सुधार भी ठंडे बस्ते में पड़ा हुए हैं और नेटग्रिड की योजना भी मंथर गति से आगे बढ़ रही है।

आवश्यकता किस बात की है

भारत सरकार ने कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। विदेश नीति के क्षेत्र में खासतौर से देश का मान-सम्मान बढ़ाया है। सेना, नौसेना और वायुसेना सभी को आधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है। आर्थिक क्षेत्र में भी प्रगति हो रही है। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, दोनों ने हमारी आर्थिक नीतियों को सराहा है, परंतु दुर्भाग्य से आंतरिक सुरक्षा का ढांचा आज भी जर्जर है और उसे सुधारने के लिए जो कदम आवश्यक हैं वे नहीं उठाए जा रहे हैं। बेहतर शांति व्यवस्था किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का आधार बनती है। सुदृढ़ आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था देश की प्रगति और विदेशों में सफलता का आधार है।इसके लिए आवश्यक है की हम पुलिस प्रणाली में सुधार लाए

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