ढाका में हुए आतंकी हमले के कुछ चुकाने वाले तथ्य
- कुछ हमलावर, जिनकी पहचान हुई है, अमीर घरों से संबंधित थे। अच्छे स्कूलों और कॉलेजों से उनकी पढ़ाई हुई थी
- कई अमीर घरों तक इस्लामिक स्टेट और अलकायदा की पहुंच ने यह मिथक तोड़ दिया है कि वैश्विक आतंकवाद में सिर्फ गरीब घरों के युवा शामिल हैं।
- पढ़े-लिखे समृद्ध पृष्ठभूमि के कई युवाओं को आतंकी गतिविधियां आकर्षित कर रही हैं।
- वे इस्लाम की खातिर और जन्नत मिलने के नाम पर दुनिया में कहीं भी हमला करने को तैयार हैं।
- इनका जाल अब एशिया से लेकर पश्चिमी देशों तक फैल गया है। इनके पास पैसा ही नहीं, दिमागी क्षमता भी अधिक है।
- सोशल साइटों ने इनकी पहुंच दूरदराज में पढ़े-लिखे युवाओं तक कर दी है। यह पूरी दुनिया के लिए नई चुनौती है।
- अमीर घरानों की कई पढ़ी-लिखी महिलाएं भी वैश्विक आतंकी नेटवर्क से जुड़ गई हैं। बांग्लादेश में बेशक यह पहली बार सामने आया है
आमिर घरानों का आतंकवाद से झुडाव का इतिहास
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने 2006 के आसपास इस्लामाबाद में कुछ अमीर घरानों के लोगों के अलकायदा और तालिबान से जुड़ने की सूचना दी थी। इस्लामाबाद के पॉश इलाके में कुछ अमीर घरों की महिलाओं के एक समय आतंकी गतिविधियों का ठिकाना बन गई लाल मस्जिद के साथ सक्रियता से जुड़े होने की सूचना पाकिस्तान सरकार को थी। लाल मस्जिद पर सैन्य कार्रवाई के बाद भी इस्लामाबाद के पॉश इलाकों में अलकायदा और तालिबान का नेटवर्क विकसित होता रहा।
आतंकी संगठनों के पास दो तरह के लड़ाके :
- एक लड़ाके वे हैं जो गरीबी और गुरबत के कारण आतंकी बन गए हैं। दूसरे वे हैं जो अमीर घरों से संबंध रखते हैं
- पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों में बहुतायत संख्या उन लोगों की है जो गरीबी के कारण शहरों में आए और उन पर मदरसों की नजर पड़ी।
- फगान तालिबान ने भी गरीब घरों के बच्चों को अच्छे वेतन और बढ़िया खाने के बहाने आतंकी कार्रवाई में शामिल किया। अफगान तालिबान कमांडर को प्रतिमाह दो सौ से तीन सौ डॉलर वेतन देता रहा है, वहीं छोटे लड़ाके को प्रतिदिन के हिसाब से वेतन मिलता रहा।
- अफगान तालिबान के साथ ताजिक, उजबेक और उइगर आतंकी जुड़े रहे। इनमें ज्यादातर गरीब घरों के ही लड़के हैं।
- अभी तक अफ्रीका से लेकर एशिया तक गरीब घरों के लड़कों को आतंक फैलाने के लिए आतंकी संगठन भेजते रहे।
- परन्तु 2015 में कराची हमले में यह सामने आया की शामिल की आतंकी आमिर परिवारों से सम्बन्ध रखते थे| जांच एजेंसियों ने जब इसके बाद खोज अभियान चलाया तो पता चला कि कराची में इस्लामिक स्टेट की महिला शाखा इन्होंने ही गठित की है।
- बांग्लादेश के कई युवा इस्लामिक स्टेट की तरफ आकर्षित हुए। कुछ तो सीरिया तक पहुंच गए।
- वैश्विक आतंकवाद में अमीर घरों के युवा ही नहीं, महिलाएं भी शामिल हैं। यूरोप में इसका मामला 2004 में ही सामने आ गया था। यूरोप में समृद्ध घरों की कई महिलाएं इस्लामिक स्टेट का साथ देने सीरिया पहुंच गर्इं। फ्रांस में पैदा हुई सम्मानित परिवारों की बीस से ज्यादा लड़कियों को सीरिया में इस्लामिक स्टेट के साथ सक्रिय देखा गया।
आज वैश्विक आतंकी संगठनों के पास पैसा काफी है। जरुरत इस बात की इस आतंकवाद को न केवल सामरिक तरीको से पर बौधिक स्तर पर भी निपटा जाए | सोशल मिडिया भी एक बड़े चैलेंज के रूप में सामने आया है| इससे भी नए तरीके से deal करना होगा ताकि इससे उपझे खतरे को रोका जा सके