लखनऊ में एटीएस से मुठभेड़ में आईएस से जुड़े आतंकी मोहम्मद सैफुल्ला के मारे जाने पर राजनीतिक चर्चा के साथ उस खतरे की ओर भी निगाहें उठने लगी हैं, जो सीरिया में आईएस के कमजोर होने के साथ भारत पर मंडराने लगा है। भोपाल-उज्जैन पैसेंजर में विस्फोट करने वालों की पिपरिया, कानपुर में गिरफ्तारी और फिर लखनऊ में मुठभेड़ यह साबित करती है कि अब हिंदी भाषी प्रदेश अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से महफूज नहीं हैं।
Social Media and Terrorist
भारत में भी वैश्विक आतंकी सक्रिय है। इन आतंकियों के पास ‘टेलीग्राम’ नाम का मैसेजिंग एप मौजूद था, जिसका इस्तेमाल करने वालों की पहचान पता लगाना कठिन है। रूसी इंजीनियर द्वारा बनाए गए इस एप का आतंकी धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारे खुफिया तंत्र को इनसे जानकारी हासिल हुई है कि वे ‘खोरासन मॉड्यूल’ नाम के आतंकी संगठन से जुड़े हैं जो आईएस की एक शाखा है। यह संगठन अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर काम करता है।
Need for caution
बहुत संभव है कि सीरिया में कमजोर पड़ने या सफाया होने के बाद आईएस अलग नाम से दूसरे देशों में अपना तंत्र फैला रहा है। इस काम में उसे पाकिस्तान और बांग्लादेश से मदद मिलने की संभावना है। ऐसे में यह घटना इस बात की चेतावनी है कि हमारे खुफिया तंत्र को पूरी तरह चौकस रहना होगा और राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर पर राजनीति से परे सूचनाओं का आदान-प्रदान करना होगा। आतंकवाद विकृत राजनीति की एक शाखा है और इसे स्वस्थ राजनीति की बयानबाजी और संरक्षण का मुद्दा किसी भी कीमत पर नहीं बनने देना है। साथ ही इस बात का ध्यान रखना है कि हमारे नौजवान किसी भी तरह से आईएस की ओर भटकने न पाएं।