The_Economic_Times का संपादकीय
लगातार ऑनलाइन हो रही दुनिया में साइबर अपराधों से निपटने के लिए प्रभावी कानूनी ढांचा बनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. द इकॉनॉमिक टाइम्स की संपादकीय)
- रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि उन पर अगर कोई साइबर हमला हो तो वे तत्काल इसकी जानकारी दें नहीं तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. यह अल्टीमेटम देकर इस नियामक संस्था ने ठीक और वैश्विक मानकों के अनुरूप कदम ही उठाया है.
- बढ़ते साइबर हमलों के बाद अमेरिका में भी नियामक अपनी सुरक्षा के लिहाज से पर्याप्त सजग न रहने वाले बैंकों के साथ सख्त रुख अपना रहे हैं. बीते साल अमेरिकी संसद ने एक विधेयक पास किया था जो बैंकों को कानूनी झंझटों से मुक्त करते हुए उन्हें जांचकर्ताओं के साथ साइबर खतरों से जुड़ी जानकारियां साझा करने की इजाजत देता है.
- भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए. बैंकों ही नहीं, सभी कंपनियों के लिए साइबर हमलों की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए. अक्सर बैंक और कंपनियां इस डर से यह जानकारी नहीं देते कि कहीं उनके शेयरों का दाम न गिर जाए. लेकिन जब कानून बन जाएगा तो उन्हें ऐसा करना पड़ेगा.
- अभी कंपनियां ऐसे हमलों की जानकारी इंडियन कंप्यूयर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम को दे सकती हैं. लेकिन जरूरत इस बात की है कि साइबर हमलों पर नजर रखने, उनकी जांच-पड़ताल करने और उनसे बचाव के उपाय खोजने के लिए फौरन एक विशेषज्ञ संस्था बनाई जाए.
- 2015 में गृह मंत्रालय ने इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन के गठन को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी थी. इसके तहत साइबर क्राइम की ऑनलाइन रिपोर्टिंग, निगरानी, फॉरेंसिक इकाइयों की स्थापना, इस दिशा में पुलिस और बाकी न्यायिक ढांचे की क्षमताएं बढ़ाने जैसे कई काम होने थे. लेकिन ये सभी काम घोंघे की रफ्तार से हो रहे हैं.
- साइबर हमले करने वाले अक्सर जिन देशों पर हमला करने की ताक में रहते हैं उनमें से एक भारत भी है. लेकिन यहां प्राइवेसी और डेटा की सुरक्षा के लिए मौजूद कानूनी ढांचा अभी बहुत आदिम स्तर का है. जो कानून हैं भी उनका अनुपालन न के बराबर हो रहा है.
- जैसे-जैसे बैंकिंग, कारोबार और बाकी दूसरी चीजें ऑनलाइन हो रही हैं वैसे-वैसे साइबर सुरक्षा भी शीर्ष प्राथमिकता का सवाल बनती जा रही है. इसलिए न सिर्फ कानून में सुधार होना चाहिए बल्कि उसका पालन सुनिश्चित करने वाली व्यवस्था में भी.
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