आतंकियों का वो दस्ता जो आम लोगों के बीच रहता है और आतंकियों के हैंडलर्स से आदेश मिलने के बाद हरकत में आते हैं। लंबे समय तक आम जिंदगी जीने वाले इन लोगों को सरकार के लिए पकड़ना मुश्किल होता है। किसी मॉल-दुकान में काम करने वाले, छोटी-मोटी नौकरी-बिजनेस करने वाले ये स्लीपर सेल सूचनाएं जुटाने में माहिर होते हैं।
स्लीपर सेल जज्बाती होते हैं जो जान देने से भी नहीं चूकते। देश के बिगड़े माहौल में आतंकी इन्हीं स्लीपर सेल को एक्टिव करके नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं।