बलूचिस्तान मुद्दा:- अंग्रेजों के ज़माने से है बलूचिस्तान में संघर्ष

Why in news: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने भाषण में जब से बलूचिस्तान का ज़िक्र किया है, भारत और पाकिस्तान के बीच नए सिरे से तनातनी देखने को मिल रही है.

अवस्थिति (Geography) :-

  •  पाकिस्तान के क़रीब 40 फ़ीसदी इलाक़े में स्थित बलूचिस्तान की सरहदें दक्षिण पश्चिम में ईरान और उत्तर से लेकर उत्तर पश्चिम तक अफ़गानिस्तान से लगती हैं. इसके उत्तर पूर्व में पाकिस्तान के क़बाइली इलाक़े और दक्षिण में अरब सागर है.blochistan map
  • दक्षिण पश्चिम में एक बड़ा हिस्सा सिंध और पंजाब से जुड़ा है. सिल्क रूट से कारोबारियों और यूरोप से आने वाले हमलावरों के लिए अफ़गानिस्तान तक पहुंचने का रास्ता इसी बलूचिस्तान से होकर गुज़रता है.
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Social condition:

  • बलूचिस्तान में ज़मीन के ऊपर बलूच, हजारा, सिंधी, पंजाबी से लेकर उज्बेक़ और तुर्कमेनियाई लोगों की दुनिया बसी है. लेकिन नीचे कोयला और खनिजों का खज़ाना भरा है.
  • बावजूद इसके करीब सवा करोड़ की आबादी वाला पाकिस्तान का सबसे बड़ा सूबा बदहाली, ग़रीबी और सरकार की अनदेखी का शिकार है. लंबे समय से यहां के लोग अपनी ज़मीन पर अपने शासन के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

Histoty of conflict

  • सन्1840 में जब ब्रितानी आए थे तभी से प्रतिरोध है, संघर्ष रुक रुक के चलता रहा है. पाकिस्तान बनने के बाद पांचवी बार सैन्य अभियान चल रहा है. ये सिलसिला इसलिए चल रहा है क्योंकि ना तो ब्रितानी जमाने में ना ही पाकिस्तान के शासन में बलूच लोगों के साथ कोई समझौता हुआ. ये अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष है.’’
  • “बलूचिस्तान की एक आज़ाद एसेंबली है, वहां प्रांतीय सरकार है, चुनाव होते हैं, कुछ लोग जो बलूचिस्तान की नुमाइंदगी के दावेदार हैं, वो असल में हिंदुस्तान के बहुत नज़दीक है। 
  •  यहां तीन तरह का चरमपंथ है. एक जो यहां अलगाववादी ताक़तें हैं जो अब क़रीब क़रीब ख़त्म हो चुकी हैं, दूसरी धार्मिक ताकतें जिनके ख़िलाफ़ सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है और तीसरी अंतरराष्ट्रीय जो अब भी मौजूद है.
  •  पाकिस्तान ने जितनी ऊर्जा इस इलाक़े पर अपना अधिकार मज़बूत करने में ख़र्च की है उसका बहुत छोटा हिस्सा ही यहां के लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने की मुहिम को दिया. नतीजा ये हुआ कि दिलों के बीच दूरियां बढ़ती गईं और पाकिस्तान बार बार यहां के आवाम को अपनी ताकत दिखाता रहा.
  • 1948, 1958, 1962, 1973, और 2002 में यहां पाकिस्तानी सेना की बड़ी कार्रवाइयां हुईं. इनमें भारी हथियारों का इस्तेमाल और हवाई हमले भी किए गए. 2006 में बलूच नेता अक़बर बुगती को क़त्ल कर दिया गया.

Human rights Violation

बलूचिस्तान से हज़ारों की तादाद में लोग लापता हैं और सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं कि वो कहां हैं. ग़ायब हुए लोगों के परिजन सरकार पर ही उन्हें अगवा करने का आरोप लगाते हैं, सड़कों पर उतर कर विरोध करते हैं. पाकिस्तान की सरकार स्थानीय लोगों को ही यहां गड़बड़ी फैलाने का ज़िम्मेदार मानती है.

- हाल ही में पाकिस्तान के चीन और ईरान के साथ बड़े क़रार हुए हैं जिनमें ग्वादर के बंदरगाह पर बड़ी सुविधाएं लाने के साथ ही चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर भी बनना है. इसके अलावा ईरान से बड़ी गैस पाइपलाइन की भी योजना है लेकिन स्थानीय लोग इससे भी नाख़ुश हैं. वो मानते हैं उनकी शिकायतों पर काम होने की बजाय उनके अधिकार छीने जा रहे हैं.

- बलूचिस्तान में इस वक़्त नवाज़ शरीफ़ की पार्टी सत्ता में है.सारा का सारा काम संघीय सरकार के पास है और उसमें बलूच लोगों की कोई नुमाइंदगी नहीं. सरकारी नौकरियों में तो बलूच लोगों को ढूंढते रह जाएंगे.’’

- बलूचिस्तान में अब भ्रष्टाचार, जातीय हिंसा और अलगाववाद को लेकर संघर्ष है लेकिन पाकिस्तान इसे भारत की कारस्तानी बताता है. बलूचिस्तान की अलगाववादी ताक़तों को भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी रॉ से समर्थन और पैसा मिलने की बात कही जाती है.

साभार:- बीबीसी हिंदी

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