- अमरीका में डोनाल्ड ट्रंप का उदय और ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला क्या संकेत देते हैं? साधारण शब्दों में कहें तो इसका सीधा सा मतलब समूचे विश्व में अति-राष्ट्रवाद के उदय का कारण बन सकता है.
- अधिकतर उदारवादी अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ब्रिटेन की आवाम ने यूरोपीय संघ के भाग के रूप में एक संयुक्त अर्थव्यवस्था की व्यवस्था से बाहर निकलने का फैसला करके एक बहुत बड़ी गलती की है.\
- आने वाले महीनों में अगर डोनाल्ड ट्रंप अमरीका के राष्ट्रपति बनने में सफल रहते हैं तो कुछ ऐसे ही शब्द अमरीकियों की पसंद को लेकर भी कहे जा सकते हैं.
- यूरोपीय संघ को छोड़ने के फैसले को करीब 52 प्रतिशत मत मिले जबकि 48 प्रतिशत लोग ईयू के साथ बने रहने के हिमायती थे. यह अनुपात स्पष्ट करता है कि ब्रिटेन के निवासी इस बात को लेकर सशंकित थे कि उन्हें सीमा के किस ओर रहना है.
- 1990 में विश्व व्यापार संगठन (डब्लूएचओ) की स्थापना और तमाम यूरोपीय देशों के यूरोपीय संघ के तत्वाधान में इकट्ठे आने के फैसले के साथ वैश्विक पूंजीवाद के सपने ने उड़ान भरी. दो दशक बाद वैश्वीकरण ने सीमा विहीन एकीकृत अर्थव्यवस्थाओं का वायदा किया.
- यूरोपीय संघ में इसका मतलब था कि श्रमिक अब बिना वीजा के झंझट के आसानी से आवाजाही कर सकते थे ओर बाकी दुनिया के लिये इसका मतलब ऐसा ही वीजा के माध्यम से आसानी से करना था.
- आखिरकार सीमामुक्त विश्व के सपने का सीधा सा मतलब था सभी देशों की आमदनी में अच्छा खासा मुनाफा जो आगे जाकर श्रमिकों की आय में वृद्धि का रूप ले रही थी.
=>बेरोजगारी का सामना
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वृद्धि की एक निश्चित अवधि को छोड़कर यूरोप की जनता को बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का सामना करना पड़ा.
- उदाहरण के लिये 2000 के प्रारंभ में ईयू-28 में कुल मिलाकर 20 मिलियन सं अधिक बेरोजगार थे जो वहां की कुल श्रमिक शक्ति के 9.2 प्रतिशत थे.
- 2001 की दूसरी तिमाही में बेरोजगार व्यक्तियों की संख्या गिरकर 19.6 मिलियन और बेरोजगारी दर गिरकर 8.7 प्रतिशत तक पहुंच गई.
- 2004 के अंत तक काम और नौकरी तलाशने वालों की संख्या 21.1 मिलियन तक पहुंच गई और इसी दौरान बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत की दर को छूने के करीब पहुंच गई थी.
- यूरोस्टेट के आंकड़ों के अनुसार यूरोपीय संघ के कर्मचारियों के लिये सबसे बेहतरीन समय 2005 से 2008 के मध्य का था. उस दौरान ईयू-28 की बेरोजगारी गिरकर 16.1 मिलियन लोगों तक पहुंच गई थी जो कुल कामकाजी आबादी का 6.8 प्रतिशत थी.
- लेकिन 2008 के बाद से बेरोजगारी निरंतर बढ़ रही है. करीब 10 प्रतिशत के निशान के करीब. अप्रैल 2016 में यूरोपीय क्षेत्र द्वारा सीजनली-समायोजित बेरोजगारी की दर 10.2 प्रतिशत थी.
- हालांकि यूरोपीय संघ 28 देशों का एक समूह है लेकिन इसमें मुख्यतः जर्मनी और फ्रांस का ही बोलबाला देखा जाता था.
=>आर्थिक नीतियों पर पुनर्विचार :-
- विकसित देशो में बड़े पैमाने पर फैली इस बेरोजगारी ने इन देशों को अपनी आर्थिक नीतियों पर पुर्नविचार करने को मजबूर किया है.
- डब्लूटीओ की रिपोर्ट के अनुसार 2008 के बाद से जी-20 अर्थव्यवस्थाओं ने 1583 नये व्यापार सुधारों को अपनाया है और मात्र 387 को हटाया है.
- 2015 के मध्य अक्टूबर और 2016 के मध्य मई के बीच मेें इन देशों ने 145 नए संरक्षवादी उपायों को पेश किया है.
- ‘‘दुनिया बहुत तेजी से यह समझ रही है कि वैश्वीकृत विश्व के जरिये सिर्फ कुछ चुनिंदा देशों का ही लाभ हुआ है और उनकी बीच भी सिर्फ चुनिंदा ही लोगों का.’’
- दुनिया में तेजी से इस बात को लेकर विश्वास बढ़ रहा है कि तेजी से बढ़ रही इस वैश्विक अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी लााभार्थी अगर कोई है तो वह है बहुराष्ट्रीय कंपनियां, अमीर परिवार और कुशल और प्रशिक्षित श्रमिक.
- अमरीकी थिंक टैंक इकनाॅमी पाॅलिसी इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘वर्ष 2000 से 2007 के बीच अमरीका में 16 प्रतिशत की उत्पादकता वृद्धि के बावजूद एक आम कर्मचारी को सिर्फ 2.6 प्रतिशत की वेतन वृद्धि देखने को मिली. इसमें भी 20 प्रतिशत कर्मचारियों को मात्र 1 प्रतिशत की वेतन वृद्धि मिली जबकि 80 प्रतिशत कामगार 4.6 प्रतिशत की वेतन वृद्धि पाने में सफल रहे.’’
- एक तरफ जहा दुनियाभर में तकनीक और प्रौद्योगिकी की मदद से लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा किये जा रहे हैं वहीं यूरोप और अमरीका में विशेषकर बुजुर्ग और अल्प-शिक्षित लोगों के बीच शिकायत बढ़ती ही जा रही है क्योंकि उन्हें अपने काम की प्रवृत्ति में निरंतर हो रहे परिवर्तन का सामना करने के लिये खासा संघर्ष करना पड़ रहा है.
यह बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करता है कि आखिरकार क्यों ब्रेग्जिट के बुजुर्गों ने एक बड़ी संख्या में ‘‘साथ छोड़ें’’ के विकल्प को चुना जबकि युवा वोटरों ने ‘‘साथ रहने’’ के विकल्प का चुनाव किया.