सहयोग का सफर: भारत -बांग्लादेश

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत यात्रा और इस अवसर पर दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का दूरगामी महत्त्व है। जिन बाईस समझौतों पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए उनमें सैन्य सामानों की खरीद, असैन्य परमाणु समझौता, बस-सेवा, टेÑन सेवा और बिजली की आपूर्ति जैसे बिंदु शामिल हैं।

समझौतों का महत्त्व

Ø  इन समझौतों के दोनों देशों के लिए आर्थिक और व्यावसायिक आयाम तो हैं ही, इनकी कूटनीतिक अहमियत भी कम नहीं है। क्योंकि चीन लगातार बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को मजबूती प्रदान कर रहा है।

Ø  बांग्लादेश चीन से रक्षा सामग्रियां आयात कर रहा है। हाल में उसने दो पनडुब्बियां भी चीन से ली हैं। चीन की रणनीति दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ रिश्ते बना कर भारत की तुलना में अपनी सामरिक स्थिति मजबूत करने की है। इसके लिए वह अपनी ‘चेकबुक रणनीति’ पर भी काम करता है। लिहाजा, भारत ने बांग्लादेश के साथ आपसी सहयोग का दायरा बढ़ा कर वक्त की नजाकत को समझा है। यों भी बांग्लादेश के साथ भारत के गहरे सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध रहे हैं।

समझौतों के मुताबिक भारत बांग्लादेश को सैन्य सामानों की खरीद के लिए पचास करोड़ डॉलर की मदद करेगा तथा 450 करोड़ रुपए का कर्ज भी देगा। दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु समझौता भी हुआ है, जिसमें एक-दूसरे को रक्षा सहयोग करने की शर्त है। पश्चिम बंगाल के राधिकापुर से बांग्लादेश में खुलना तक बस सेवा का एलान हुआ है। कोलकाता से खुलना तक के लिए रेल चलाने पर सहमति बनी है। यह सेवा दोबारा शुरू होगी, क्योंकि 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान इस  सेवा को बंद कर दिया गया था। तब बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। इस टेÑन से आगे चल कर नेपाल और भूटान भी जुड़ेंगे। इससे जहां नागरिकों के स्तर पर संपर्क बढ़ेंगे, वहीं व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके इसी साल जुलाई में शुरू होने की उम्मीद है। भारत, बांग्लादेश को साठ मेगावॉट बिजली की आपूर्ति और बढ़ाएगा। छह सौ मेगावॉट बिजली पहले से ही दी जा रही है।

दोनों देशों की ओर से जारी साझा बयान में आतंकवाद के खिलाफ मिल कर लड़ने की प्रतिबद्धता जताई गई है। भारत लंबे समय से आतंकवाद से पीड़ित है। ऐसे में बांग्लादेश का साथ देने का आश्वासन सुकुनदेह है। बांग्लादेश में खालिदा जिया की सरकार के समय वहां पूर्वोत्तर के हथियारबंद गिरोहों को शरण मिलती थी। अवामी लीग की सरकार आई तो भारत को पूर्वोत्तर में आतंकवाद पर काबू पाने में बांग्लादेश से अपूर्व सहयोग मिला। बांग्लादेश के मुक्तिदाताओं के दस हजार बच्चों को छात्रवृत्ति देने तथा सौ मुक्तिदाताओं को भारत में मुफ्त इलाज कराने समेत कई और समझौतों ने भी दोनों देशों के संबंध को मजबूत बनाने में मदद की है। तीस्ता नदी जल बंटवारे का मामला जरूर सुलट नहीं पाया, क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस पर राजी नहीं हुर्इं। लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा है कि उनके राज्य में तीन पहाड़ी नदियां हैं, जिनका पानी देने को वे तैयार हैं। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई है कि तीस्ता की बाबत भी देर-सबेर कोई न कोई हल जरूर निकल आएगा।

साभार : जनसत्ता 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download