- रक्षा संबंध को मजबूत करते हुए भारत और रूस ने लगभग 43,000 करोड़ रुपये की लागत के तीन बड़े रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर किए। इसमें सर्वाधिक उन्नत वायु रक्षा प्रणाली की खरीद शामिल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच विस्तृत बातचीत के बाद इन रक्षा सौदों के बारे में फैसले किए गए।
- अमेरिका और यूरोप के साथ भारत के बढ़ते रक्षा संबंधों के बीच मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि रूस भारत का बड़ा रक्षा और सामरिक साझेदार बना रहेगा।
- दोनों देशों के बीच जो रक्षा सौदे हुए हैं उनमें एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए अंतर सरकारी समझौता सबसे अहम है। यह शत्रु के विमान, मिसाइल और ड्रोन को 400 किलोमीटर की दूरी से ही नष्ट करने में सक्षम है।
- भारत ने ऐसी कम से कम पांच प्रणालियां खरीदने की कोशिश की हैं। यह क्षमता हासिल करने के बाद मिसाइलों को भेदने में भारत की ताकत बढ़ जाएगी। यह प्रणाली पाकिस्तानी और चीनी विमानों अथवा ड्रोन को भेदने में बखूबी सक्षम है।
- रूस की 700 से अधिक प्रौद्योगिकी कंपनियों का प्रतिनिधि संगठन ‘रोसटेक स्टेट कारपोरेशन’ के सीईओ सर्गई चेमेजोव ने कहा कि वायु रक्षा प्रणाली के लिए अनुबंध पर बातचीत अब शुरू होगी और उम्मीद है कि अगले साल के मध्य तक इसे मूर्त रूप दे दिया जाएगा।
- अगर सबकुछ ठीक रहता है तो इस प्रणाली की आपूर्ति 2020 तक आरंभ हो जाएगी। ‘एस-400 उच्च स्तर की और सबसे अधुनिक हवाई प्रणाली है जो किसी भी ऐसे देश के लिए महत्वपूर्ण है जो खुद को सुरक्षित रखना चाहता है।’
- हर प्रणाली के साथ आठ लांचर, एक कंट्रोल सेंटर, रडार और 16 मिसाइलें रिलोड के तौर पर होंगी। हर प्रणाली पर एक अरब डॉलर से अधिक की लागत आएगी।
- रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर करना मायने रखता है क्योंकि हाल के समय यह माना गया कि भारत अपने पारंपरिक रक्षा सहयोगी रूस से दूरी बना रहा है। दरअसल, भारत ने अमेरिका के साथ साजो-सामान आदान प्रदान समझौता ज्ञापन (लेमोआ) पर हस्ताक्षर किया है जो अमेरिका को भारतीय सैन्य ठिकानों पर पहुंच मुहैया करेगा।
- अन्य अहम समझौता चार एडमिरल ग्रिगोरोविच-क्लास (प्रोजेक्ट 11356) गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट को लेकर है। इस सौदे के तहत दो युद्धपोत रूस से आयेंगे और रूस के सहयोग से दो का निर्माण भारत में किया जायेगा। भारतीय शिपयार्ड के चुनाव को लेकर कोई निर्णय नहीं किया गया है।
- भारत में चीता और चेतक हेलीकॉप्टर का स्थान लेने के लिए 200 कामोव 226 टी हेलीकॉप्टर के निर्माण से जुड़ा जटिल समझौता दोनों देशों के बीच किया गया एक और अहम सौदा है।