- आठवां सम्मेलन :- पांच देशों के इस संगठन का आठवां सम्मेलन गोवा में हो रहा है, भारत इसका अध्यक्ष है।
- ‘ब्रिक’ का पहला सम्मेलन 2009 में रूस में हुआ।
- दक्षिण अफ्रीका 2011 में इसका पांचवां सदस्य बन गया।
- यह संगठन काफी मजबूत है, लेकिन आश्चर्य है कि इसमें पश्चिमी खेमे का एक भी देश नहीं है। इसमें दुनिया की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। चीन, रूस और भारत। इन तीन में से दो सुरक्षा-परिषद के सदस्य हैं।
- ब्राजील लातीनी अमेरिका का प्रमुख देश है और साउथ अफ्रीका, अफ्रीका महाद्वीप का बड़ा देश है। दूसरे शब्दों में ‘ब्रिक्स’ की सीमाएं दुनिया के इस पार से उस पार तक फैली हुई हैं।
- इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं कुल मिलाकर 16 खरब डाॅलर तक पहुंच गई है।
- दुनिया की 53 प्रतिशत यानी आधी से ज्यादा आबादी इन पांच देशों में रहती है।
- दुनिया की कुल आय (जीडीपी) का 30 प्रतिशत भाग इन देशों का है।
- विश्व-व्यापार का 17 प्रतिशत इन देशों के पास है।
इस समय भारत की अर्थ-व्यवस्था का विकास सबसे तेजी से हो रहा है और वही इस वर्ष के सम्मेलन का अध्यक्ष है। वह चाहे तो ‘ब्रिक्स’ में नई जान फूंक सकता है।
- नव विकास बैंक (न्यू डेवलपमेंट बैंक) की घोषणा, जो भारत की पहल पर 2014 में हुई थी। भारत के केवी कामथ इसके अध्यक्ष हैं। इसका मुख्यालय शंघाई में है।
- इसमें सदस्य-राष्ट्र 100 अरब डाॅलर की राशि जमा करेंगे।
आलोचना :- इस बैंक को बने चार साल हो गए है, लेकिन 100 अरब डाॅलर तो दूर का सपना है, अभी तक उसके पास 4 अरब डाॅलर भी इकट्ठे नहीं हो पाए हैं।
- रूस की अर्थव्यवस्था यूक्रेन-क्रीमिया के कारण लगे पश्चिमी प्रतिबंधों से संकट में है, चीन की अर्थव्यवस्था भी मंद हो गई है।
- ब्राजील में राजनीतिक उठा-पटक इतनी तेज है कि वह भी कुछ करने की स्थिति में नहीं है।
- साउथ अफ्रीका ने पांचों देश के बीच मुक्त-व्यापार का भी विरोध किया है।
- ये पांचों देश हर साल मिलते हैं, लेकिन चीन और रूस का लक्ष्य यह है कि अमेरिका की काट कैसे की जाए? कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर रूस और चीन की राय अमेरिका के विरुद्ध और एक-जैसी होती है, जैसे ‘साउथ चाइना सी’, यूक्रेन, आईएसआईएस आदि के बारे में।
- रूस और चीन में सामरिक घनिष्ठता भी बढ़ी है। रूस अधुनातन विमान चीन को सप्लाई कर रहा है और उसके साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास भी कर रहा है।
- चीन 40 अरब डाॅलर लगाकर जो एशियाई महापथ बना रहा है, रूस उसका भी मौन समर्थन कर रहा है।
- भारत ने पिछले दिनों जब पाकिस्तान के विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक की तो रूस ने यद्यपि भारत का समर्थन किया, लेकिन उस समय रूसी सेनाएं पाक सेना के साथ संयुक्त अभ्यास द्रूझबा (दोस्ती) के नाम पर कर रही थीं।
- जहां तक रूस का प्रश्न है, उसके साथ हथियारों की खरीद का महत्वपूर्ण समझौता होने वाला है।
- प्रक्षेप्रास्त्र-रोधी ‘ट्रायम्फ’, कमोव टैंक और 226 टी हेलिकाॅप्टर भी भारत खरीदेगा।
- कुंदनकुलम में दो परमाणु संयंत्रों के निर्माण के समझौते पर भी दस्तखत होंगे।
- भारत को तरह-तरह के हथियार बनाने में रूस मदद करेगा।
- भारत में रूस का विनियोग सिर्फ 4 अरब डाॅलर है, जबकि भारत का वहां 8 अरब का है। भारत-रूस व्यापार भी 6-7 अरब डाॅलर तक सीमित है।
- रूस को यह शिकायत हो सकती है कि भारत अमेरिका के बहुत करीब होता जा रहा है, लेकिन खुद रूस क्या अमेरिका से अपने संबंध घनिष्ठ बनाने की कोशिश नहीं कर रहा था? अब अमेरिका और रूस के बीच कोई बराबरी भी नहीं है।
- रूस यदि पाक को हथियार बेचना चाहता है तो बेचे, लेकिन उसे भारत के विरुद्ध जाने की जरूरत जरा भी नहीं है।