✓✓ घातक इबोला वायरस के प्रभाव से दुनिया अभी उबर ही रही थी कि जीका वायरस के रूप में एक अन्य चुनौती सामने है।.... जीका में बहुत जल्दी सर्वव्यापी महामारी का रूप ग्रहण करने की क्षमता है।
✓✓ ब्राजील में शुरुआत के छह महीने के भीतर ही यह वायरस 23 देशों में फैल चुका है। आगामी ओलिंपिक खेल ब्राजील की राजधानी रियो डी जनेरियो में होने हैं और उस वक्त इस बीमारी के पूरी दुनिया में फैलने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। ओलिंपिक खेलों के दौरान संपूर्ण विश्व से करीब 5 लाख लोग वहां जाएंगे।
=>WHO और भारत की तैयारियां :-
✓✓ विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस बात के लिए आलोचना की जाती है कि उसने इबोला से निपटने में अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसे में उसने जीका के विस्फोटक प्रभाव पर ध्यान देने और उसे 'अप्रत्याशित' करार देते हुए उसे 'अंतर्राष्ट्रीय आपात स्थिति' घोषित करने में वक्त नहीं गंवाया।
✓✓ भारत में सरकार ने पहले ही मशविरा जारी कर दिया है कि लोग उन देशों की यात्रा करने से बचें जहां जीका वायरस का प्रभाव देखने को मिला है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों को निर्देशित किया गया है कि वे आने वाले यात्रियों से यह पूछें कि कहीं उनको यात्रा से दो सप्ताह की अवधि में बुखार, जोड़ों में दर्द, शरीर पर दानों या कंजक्टिवाइटिस की समस्या तो नहीं हुई? ये सभी जीका के आम लक्षण हैं।
- इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक तकनीकी समिति बनाई है ताकि वैश्विक स्तर पर जीका के हालात पर करीबी नजर रखी जा सके और एडीज मच्छर का प्रजनन रोकने की योजना बनाई जा सके। इस पैनल की रिपोर्ट और उसकी अनुशंसाओं का क्रियान्वयन सहजता से होना चाहिए।
=>#Zika संक्रमण के प्रभाव : माइक्रोसिफाली
- जीका इबोला के समान घातक नहीं है लेकिन उसके संक्रमण के प्रभाव कम घातक नहीं है। खासतौर पर गर्भवती स्त्रियों के मामलों में। इसका संंबंध माइक्रोसिफाली से है।
- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चों के सिर का आकार असामान्य रूप से छोटा होता है और कई बार उनके मस्तिष्क भी क्षतिग्रस्त होते हैं।
- ब्राजील में ऐसे असामान्य लक्षण के 3,700 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं। अगर यह वायरस भारत पहुंच जाता है तो ऐसे बच्चों की संख्या बहुत अधिक हो सकती है।
=>"भारत में इसके प्रसार की संभावना"
- जीका वायरस दिन में काटने वाले मच्छर एडीस एजिप्टि के जरिये ही फैलता है। यह मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया और जापानी बुखार जैसी बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार है।
✓✓ भारत जैसे देशों में इसके तीव्र प्रसार की संभावना बहुत ज्यादा है क्योंकि हमारे यहां ये बीमारियां और इनके वाहक पहले से मौजूद हैं।
=>जीका के रोकथाम के उपाय :-
✓✓ मच्छरों को नियंत्रित करना इस बीमारी को रोकने के लिए आवश्यक है। लेकिन अतीत में ऐसा करना मुश्किल साबित हुआ है। जीका वायरस से लड़ाई आसान नहीं है।
** इसलिए भी क्योंकि संक्रमित व्यक्तियों में कई बार इसके लक्षण नजर नहीं आते लेकिन मच्छर के जरिये बीमारी उनसे दूसरे लोगों में फैलती रहती है। ऐसे में संक्रमण को नियंत्रित करना मुश्किल होता है।
✓✓ सबसे बुरी बात यह है कि अब तक इसका कोई टीका या इलाज सामने नहीं आया है।
✓✓ ऐसे में इसे दूर रखने के लिए नई नीतियों की आवश्यकता है। एक संभावना यह है कि डाई क्लोरो, डाई फिनाइल ट्राईक्लोरोथेन या डीडीटी पर से प्रतिबंध हटा लिया जाए। यह मच्छरों से निपटने का सबसे सशक्त और प्रभावी कीटनाशक है।
✓✓ एक और संभावना यह है कि हाल में विकसित जीन संवद्र्घित (GM) मच्छरों का प्रयोग किया जाए जो अपनी प्रजाति की बढ़ोतरी को रोक सकता है। इनमें एक घातक जीन होता है जो उन्हें मनुष्यों को काटने लायक होने के पहले ही मार देता है।
✓✓ ब्राजील में यह प्रयोग चल रहा है और इसे 80 से 90 प्रतिशत सफल बताया जा रहा है। बहरहाल, इस वायरस से निपटने या संक्रमण रोकने की दवा या टीका विकसित करने के लिए हमें अथक प्रयास करने होंगे।