- पाकिस्तान का परोक्ष किंतु स्पष्ट उल्लेख करते हुए प्रभावशाली क्षेत्रीय संगठन बिम्सटेक उन देशों के खिलाफ ‘सख्त’ कदमों का आह्वान किया जो आतंकवादी समूहों को प्रोत्साहित करते हैं, समर्थन करते हैं और उनका वित्तपोषण करते हैं, उन्हें पनाह देते हैं, उनके गुणों की प्रशंसा करते हैं।
- , भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल के समूह ने कहा कि आतंकवादियों का ‘शहीद’ के तौर पर महिमामंडन नहीं होना चाहिए।
- बात परोक्ष तौर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का उल्लेख करते हुए कही गई, जिन्होंने हिज्बुल मुजाहिदीन के मारे गए आतंकवादी बुरहान वानी को ‘शहीद’ बताया था।
- समूह ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई आतंकवादी समूहों और उनके नेटवर्कों को बाधित करने और उनका सफाया करने तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए बल्कि उनका समर्थन करने वाले देशों को भी दंडित किया जाना चाहिए।
बिम्सटेक के नेताओं के बीच विचार-विमर्श का विवरण देने वाले एक परिणामी दस्तावेज में कहा गया है कि वह क्षेत्र में हालिया ‘बर्बर आतंकवादी’ हमलों की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई को आतंकवादियों, आतंकवादी संगठनों और नेटवर्कों को बाधित करने और उनका सफाया करने तक सीमित नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें उन देशों की पहचान करनी चाहिए, उन्हें जवाबदेह ठहराना चाहिए और उनके खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिए जो आतंकवाद को प्रोत्साहन देते हैं, उसका समर्थन करते हैं और वित्तपोषण करते हैं, आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों को पनाह देते हैं और गलत तरीके से उनके गुणों की तारीफ करते हैं।’
- दस्तावेज में कहा गया है कि नेताओं ने आतंकवाद से निपटने के लिए अविलंब कदम उठाने पर जोर दिया। दस्तावेज में कहा गया, ‘आतंकवादियों का शहीद के तौर पर महिमामंडन नहीं होना चाहिए। हम आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद और चरमपंथीकरण के प्रसार को रोकने और उससे मुकाबला करने के लिए अविलंब कदमों की आवश्यकता को स्वीकार करने की मांग करते हैं।
- हम अपने कानून प्रवर्तन, खुफिया और सुरक्षा संगठनों के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता का इजहार करते हैं।’ भारत उरी हमले के मद्देनजर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के प्रयासों को तेज कर रहा है।
- नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स और बिम्सटेक शिखर सम्मेलनों को रविवार को यहां संबोधित करते हुए पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद की ‘जननी’ बताया था और कहा था कि यह समस्या उसका ‘प्यारा बच्चा’ बन गया है।
आतंकवाद से निपटने में बिम्सटेक के मजबूत रख का महत्व है क्योंकि ब्रिक्स घोषणा पत्र में सीमा-पार आतंकवाद पर आम सहमति नहीं बन पाई थी।
बिम्सटेक ने कहा, ‘आतंकवाद के हमारे क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा उल्लेखनीय खतरा बने रहने को पहचानते हुए हम आतंकवाद से उसके सभी स्वरूपों और प्रकटीकरण में लड़ने की अपनी मजबूत प्रतिबद्धता को दोहराते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि किसी भी आधार पर आतंकवाद के कृत्यों को जायज नहीं ठहराया जा सकता।’
समूह ने आपराधिक मामलों में पारस्परिक सहायता पर बिम्सटेक संधि पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया को तेज करने और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, सीमापारीय संगठित अपराध और अवैध मादक पदाथरें की तस्करी से लड़ने में सहयोग पर बिम्सटेक संधि का शीघ्र अनुमोदन करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। समूह ने कई मुद्दों पर भी चर्चा की जिसमें संपर्क में सुधार, व्यापार बढ़ाने, ऊर्जा सहयोग और पर्यटन को प्रोत्साहन देना शामिल है।
समूह ने ने संपर्क में सुधार के लिए बिम्सटेक मोटर वाहन समझौते की संभावना तलाशने पर भी सहमति जताई। यह फैसला दक्षेस देशों के बीच इसी तरह के समझौते की राह में पाकिस्तान के पिछले साल रोड़ा अटकाने की पृष्ठभूमि में किया गया है।