- दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सक्रियता के बीच भारत, जापान और अमेरिका ने अपनी पहली त्रिपक्षीय मंत्री स्तरीय वार्ता (Trilateral Dialogue) में विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे, नौवहन की स्वतंत्रता एवं इस क्षेत्र में निर्बाध वैध कारोबार के मुद्दों पर आपसी सहमति कायम की.
- दुनिया की करीब 25 फीसदी आबादी और आर्थिक उत्पादन क्षमता का प्रतिनिधत्व करते हुए तीनों देश बेहतर तालमेल के जरिए समुद्री सुरक्षा बनाए रखने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए. उन्होंने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने हितों की बढ़ती समरूपता पर भी जोर दिया.
- इस वार्ता में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, उनके जापानी समकक्ष फूमियो किशिदा और अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने हिस्सा लिया.
- मुलाकात के बाद जारी एक प्रेस नोट में तीनों मंत्रियों ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने-अपने देशों के हितों की बढ़ती समरूपता पर प्रमुख रूप से चर्चा की.
- ''उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून की अहमियत और विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे, नौवहन एवं उड़ान की स्वतंत्रता, निर्बाध कानूनी वाणिज्यिक गतिविधियों, जिसमें दक्षिण चीन सागर का क्षेत्र भी शामिल है, पर जोर दिया.''
=>"भारत के लिए महत्त्व :-
- एशिया-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र भारत की सुरक्षा एवं आर्थिक हितों के लिए रणनीतिक रूप से काफी अहम है. इस क्षेत्र में संचार की समुद्री लेन जीवनरेखा हैं - यह भारत के व्यापार एवं वाणिज्यिक पहलुओं की जीवनरेखा है.
- भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति के तहत देश ने क्षेत्र में आर्थिक विकास के केंद्रों के साथ मजबूत संबंध बनाने पर ध्यान दिया है और उनके साथ राजनीतिक एवं सुरक्षा संबंध मजबूत किए हैं जिनमें 'आसियान' के सदस्य देश भी शामिल हैं.
- 'एक्ट ईस्ट' नीति के मुताबिक भारत जल्द ही 'एशिया प्रशांत आर्थिक समुदाय' (ऐपेक) की सदस्यता हासिल करना चाहता है. ऐपेक की सदस्यता जल्द हासिल करने के लिए भारत अमेरिका और जापान के साथ काम करने को लेकर उत्सुक है.
- संयुक्त राष्ट्र महासभा के 70वें सत्र से इतर भारत ने कहा, ''हम क्षेत्र में पारदर्शिता, समावेशन और कानून के शासन को मजबूत करने के प्रयास और अपने पारस्परिक लाभ एवं क्षेत्र के वृहद हित के लिए भी साथ मिलकर जो कर सकते हैं, उस लिहाज से भारत-अमेरिका-जापान की पहली बैठक को शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए एक त्रिपक्षीय भागीदारी के तौर पर देखते हैं.''
- भारत के ऊर्जा एवं वस्तु व्यापार का अच्छा-खासा हिस्सा एशिया-प्रशांत के महत्वपूर्ण समुद्री लेनों से गुजरता है। इसीलिए कानून का पालन करने वाले देश के रूप में भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय जलसीमा में नौवहन की आजादी, उड़ान भरने की आजादी, निर्बाध वाणिज्यिक गतिविधियों एवं अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुरूप संसाधनों तक पहुंच का समर्थन किया है.
- दुनिया की करीब 25 फीसदी आबादी और आर्थिक उत्पादन क्षमता का प्रतिनिधित्व करने वाले तीनों देशों ने शांति, लोकतंत्र, समृद्धि एवं एक नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थापना के लिए अपने साझा समर्थन पर जोर दिया.
- इस वार्ता में तीनों देशों के रणनीतिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सुरक्षात्मक हितों की बढ़ती समरूपता पर जोर दिया गया है.