चीन द्वारा एक बच्चे की नीति को वापिस लेने के पीछे के निहितार्थ

- चीन ने चार दशक से लागू एक बच्चे की नीति के कड़े प्रतिबंध को ढीला करते हुए दो बच्चों की इजाजत दी है।

- चीन नौजवानों की कमी दो-चार हो रहा है, जहां फैक्टियों की उत्पादन क्षमता भी धीरे-धीरे कम हो रही है।

- सत्तर के दशक के उत्तरार्ध में चीन ने अनुभव किया कि यदि जनसंख्या इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो आर्थिक, सामाजिक ताने-बाने को बरबाद कर देगी।

- परिवार नियोजन के लिए उठाए गए सारे कदमों और प्रचार का भी बहुत कम असर हुआ था। ऐसे में 1979 में केवल एक बच्चा की नीति सख्ती से लागू की गई जिससे अभी तक चार सौ मिलियन बच्चे कम होने का अनुमान है।

- नि:संदेह इस कड़े कानून के पालन में ज्यादतियां भी हुई, लेकिन चीनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद भी मिली। 2013 में चीन ने इसमें कुछ ढील दी। 
- जनसंख्या की स्थिरता के लिए औसत वृद्धि 2.1 फीसद की होनी चाहिए जबकि चीन में 1.6 फीसद से भी कम हो गई थी। परिणाम बूढ़े ज्यादा और नौजवान कम के तौर पर सामने आया।

- इसका सबसे बुरा असर कारखानों के उत्पादन पर पड़ा जहां कामगार ही नहीं मिलते। चीन को उम्मीद थी कि एक साल में कम से कम बीस लाख लोग दूसरे बच्चे की तरफ जाएंगे, लेकिन केवल दस लाख के करीब आबादी ने ही दूसरा बच्चा पैदा किया। 
- अध्ययन बताते हैं कि खाते-पीते परिवारों में एक से ज्यादा बच्चे की इच्छा ही नहीं है। विकास वाकई सबसे बड़ा प्रतिरोधक है जनसंख्या का।

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