दक्षिण चीन सागर पर जारी टकराव को दूर करने की कोशिशें आगे बढ़ती दिख रही हैं.
Ø इसे लेकर चीन और एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के सदस्य देशों के बीच एक बैठक हुई. इसके बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस विवाद को सुलझाने के लिए लंबे समय से अटकी पड़ी आचार संहिता की रूपरेखा पर सभी पक्षों में सहमति बन गई है. आसियान में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर, कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड, ब्रुनेई और लाओस शामिल हैं.
Why conflict:
प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न दक्षिण चीन सागर व्यापारिक परिवहन का भी एक प्रमुख जरिया है. चीन और ज्यादातर आसियान देशों के बीच इसे लेकर काफी समय से टकराव है. चीन इस पूरे क्षेत्र पर अपना अधिकार बताता है. इसके अलावा ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी इस पर अपना दावा जताते हैं. लेकिन, बीते साल जुलाई में हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय पंचाट का फैसला फिलीपींस के पक्ष में आने के बाद इसको लेकर सभी दावेदारों के बीच तनाव बढ़ गया था. चीन ने कहा था कि वह इस फैसले को नहीं मानेगा. वहां के सरकारी मीडिया में आई खबरों में यह भी कहा गया कि चीन अमेरिका के साथ संभावित सैन्य टकराव की तैयारियों में जुट गया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी संकेत दिए कि दक्षिण चीन सागर विवाद पर चीन के दावों का मुकाबला करने के लिए वह पहले से ज्यादा सख्त नीति अमल में लाएंगे.
अब इस नए घटनाक्रम से यह तनाव कुछ हद तक छंटने की उम्मीद है. हालांकि आसियान देशों के कुछ अधिकारी इस घटनाक्रम को लेकर आशंकित हैं. उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि चीन ज्यादा ईमानदार हो गया है या फिर आसियान देशों ने इतनी रणनीतिक बढ़त हासिल कर ली है कि वे चीन को कुछ नियम मानने के लिए बाध्य कर सकें.