Context:
आमतौर पर अपने हथियार गोपनीय रखने वाली चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने मध्यम दूरी की मिसाइल डीएफ-16 का प्रदर्शन करके जता दिया है कि वह अमेरिका के साथ एक प्रकार के शीतयुद्ध में उलझने को तैयार है। चीन ने कहा भी है कि 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद युद्ध का खतरा ज्यादा वास्तविक हो गया है और एशिया व प्रशांत की सुरक्षा की स्थिति और जटिल हो गई है।
- इसके तहत न सिर्फ शस्त्र निर्माण प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान होगा बल्कि अमेरिकी फौजें और मिसाइलें भी भारत भूमि पर तैनात हो सकेंगी।
- अगर चीन अमेरिका के विरुद्ध किसी प्रकार की सैन्य तैयारी कर रहा है या अमेरिका चीन के विरुद्ध कुछ ऐसा कर रहा है तो भारत उसके अच्छे-बुरे प्रभावों से बच नहीं सकता। सवाल यह है कि आमतौर पर अपने कारगर हथियारों का प्रदर्शन करने से झिझकने वाली चीनी सेना अब प्रदर्शनकारी क्यों हो गई है? इसके दो अर्थ हो सकते हैं।
- एक तो यह कि चीन अमेरिका से उत्पन्न होने वाले हर खतरे से निपटने और उसे मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार है। क्योंकि चीन के सैन्य अधिकारियों ने डी-16 मिसाइल और उसके साथ चाइना रॉकेट फोर्स के विविध हथियारों का प्रदर्शन करते हुए यह कहा है कि उसकी यह मिसाइल क्रूज मिसाइल से ज्यादा अचूक निशाना साधती है।
- यह भी हो सकता है कि ट्रम्प को यह एक प्रकार की चेतावनी है कि वे चीन के आसपास कोई दखलंदाजी न करें। यह भी हो सकता है कि व्यापार के क्षेत्र में आगे बढ़ा हुआ चीन युद्ध की बजाय शांति के आक्रामक रुख से काम चलाना चाहता है। दोनों स्थितियों में भारत को हर कदम संभलकर और सधे हुए तरीके से ही रखना होगा, क्योंकि अमेरिकी निकटता के लाभ चीन से दूरी के कारण खो भी सकते हैं।