- दक्षिण चीन सागर में द्वीपों को लेकर चीन के साथ चल रहे विवाद में भारत ने फिलिपींस का साथ दिया है । साउथ चाइना सी को फिलिपींस की सरकार वेस्ट फिलिपींस सी कहती है और इस सामुद्रिक विवाद के शांतिपूर्ण समाधान पर बल देती रही है।
- वहीं, इस विवादास्पद इलाके के बीचोबीच नौ लाइनें खींच कर चीन करीब 90% समुद्री जल पर अपना दावा करता है।
- भारत के इस कदम से साल 2013 के शुरुआत में किए गए पेइचिंग के दावों के खिलाफ स्थाई मध्यस्थता न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के फिलिपींस के फैसले को समर्थन मिल गया है। फिलिपींस अब विवाद में कोर्ट की मध्यस्थता के लिए चीन पर दबाव बनाने में कामयाब हो सकता है।
- हालांकि, चीन लंबे समय से आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल की कार्यवाहियों का बहिष्कार करता रहा है। ट्राइब्यूनल इसी महीने अपना फैसला देने वाला है और अगर चीन ने अपने खिलाफ आदेश को खारिज कर भी दिया तो भी साउथ चाइना सी में सैन्य ताकत बढ़ाने की अपनी हालिया गतिविधि को उसे धीमा करना पड़ेगा।
- विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की फिलिपींस के विदेश मंत्री अल्बर्ट डेल रसारिओ के साथ द्विपक्षीय मामलों पर इंडिया-फिलिपींस थर्ड जॉइंट कमिशन मीटिंग हुई। मीटिंग के बाद जारी साझा बयान में दक्षिण चीन सागर को पश्चिम फिलिपींस सागर बताया गया।
बयान में कहा गया है, 'फिलीपींस ने भारत को वेस्ट फिलिपीन सी के मामले में अभी के हालात और नीदरलैंड के हेग स्थित पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में फिलिपीन आर्बिट्रेशन केस की स्थिति के बारे में जानकारी दी।'
- इसमें आगे कहा गया है, 'भारत ने वेस्ट फिलिपींस सी - साउथ चाइना सी विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। दोनों पक्षों ने सभी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान और ताकत के प्रयोग की आशंका को दूर करने के महत्व पर जोर दिया।'