ब्रिक्स सम्मेलन : सभी देशों ने मंजूर किया गोवा घोषणापत्र

  • ब्रिक्स देशों का 8वां सम्मेलन गोवा में संपन्न हो गया। ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद का मुद्दा अहम रहा। सम्मेलन के समाप्त होने के बाद जारी घोषणापत्र को सभी देशों ने अपनाया। ब्रिक्स देश आतंककवाद के खिलाफ साझा अभियान के लिए राजी हुए।
  • गोवा घोषणापत्र में कहा गया कि अपने क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने की जिम्मेदारी सभी देशों की है।
  • ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के ‘सीमित’ सत्र के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजीलियाई नेता माइकल टेमर को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि दुनिया भर के आतंकवाद के मॉड्यूल ‘आतंकवाद के पोषण की इस भूमि’ से जुड़े हुए हैं।
  • उन्होंने कहा, ‘हमारे अपने क्षेत्र में आतंकवाद ने शांति, सुरक्षा और विकास के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है। दुखद है कि इसके पोषण की भूमि भारत के पड़ोस में एक देश है। दुनिया भर में फैले आतंकवाद के मॉड्यूल इसी भूमि से जुड़े हुए हैं।
  • ‘, , ’  
  • भारत ने ‘कंप्रिहेंसिव कनवेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म’ (सीसीआईटी) के जल्द अनुमोदन का आह्वान करते हुए कहा कि ऐसा करना आतंकवाद की समस्या से लड़ने के हमारे संकल्प को मूर्त रूप प्रदान करने की ओर एक कदम होगा।
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जिस दुनिया में आज हम रहते हैं वहां अगर हमें अपने नागरिकों के जीवन को सुरक्षित करना है तो सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग जरूरी है। हमारे विकास और आर्थिक समृद्धि पर आतंकवाद का बड़ा साया है।’ 
  • उन्होंने कहा, ‘इसकी पहुंच अब वैश्विक हो गई है। यह और अधिक खतरनाक हो गया है और इसने प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को अपनाया है। आतंकवाद को हमारा जवाब समग्र से कम कुछ नहीं होना चाहिए।’ मोदी ने कहा कि आतंकवादियों और संगठनों को लेकर भेदभावपूर्ण रूख सिर्फ अनुपयोगी नहीं होगा, बल्कि इसके विपरीत परिणाम होंगे।
  • उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच सुरक्षा सहयोग को प्रगाढ़ बनाने की जरूरत है।
  • पुतिन और शी के साथ शनिवार को अपनी द्विपक्षीय मुलाकातों में मोदी ने पाकिस्तान की धरती से पैदा होने वाले आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को पुरजोर ढंग से रखा था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को सहयोग देने वालों को दंडित किया जाना चाहिए।
  • उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के बढ़ते दायरे ने आज के समय में मध्य-पूर्व, पश्चिम एशिया, यूरोप और दक्षिण एशिया के लिए खतरा पैदा किया है।’ मोदी ने कहा, ‘इसकी हिंसक छाप हमारे नागरिकों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करती है और आर्थिक प्रगति की ओर लक्षित हमारे प्रयासों को कमजोर करती है।’ उन्होंने कहा, ‘ब्रिक्स के तौर पर हमें खड़े होने और मिलकर काम करने की जरूरत है। ब्रिक्स को इस खतरे के खिलाफ एक सुर में बोलना होगा।’ 
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हम अपने इस विश्वास को लेकर एकजुट हैं कि आतंकवाद और इसके समर्थकों को पुरस्कृत नहीं, बल्कि दंडित करना होगा।’ मोदी ने ब्रिक्स देशों से यह भी कहा कि वे संयुक्त राष्ट्र के ‘कंप्रिहेंसिव कनवेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म’ (सीसीआईटी) के जल्द अनुमोदन के लिए मिलकर काम करें ताकि इस समस्या का मुकाबला किया जा सके और आतंकवाद के खिलाफ व्यावहारिक सहयोग हो सके।
  • ब्रिक्स देशों के शांति, सुधार, तार्किक एवं उद्देश्यपूर्ण कार्रवाई के लिए एकजुट होने का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, ‘अगर प्रगति के नए वाहकों को जड़े जमानी हैं तो सीमाओं के पार कुशल प्रतिभा, विचारों, प्रौद्योगिकी और पूंजी का निर्बाध प्रवाह होना होगा।’ विश्व के सामने खड़ी प्रमुख चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा की जरूरत है।
  • उन्होंने कहा, ‘हमने मौजूदा ढांचे को मजबूत बनाने के लिए नये वैश्विक संस्थानों का निर्माण किया है। ‘एनडीबी एंड कंटिनजेंसी रिजर्व एरेंजमेंट’ मौजूद हैं।’ भारत की ओर से हाल ही में पेरिस जलवायु समझौते को अनुमोदित किए जाने का हवाला देते हुए मोदी ने कहा, ‘हम विकास और जलवायु परिवर्तन के बीच सद्भावपूर्ण संतुलन को लेकर प्रतिबद्ध हैं। सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों अथवा एजेंडा-2030 द्वारा तय किया गया रास्ता आशा का मूल्यवान खाका है। भारत की अपनी विकासात्मक प्राथमिकताएं हैं जो इनके साथ जुड़ी हैं।’ मोदी ने साइबर क्षेत्र के खतरों और समुद्री क्षेत्र में लूट से लेकर मानव तस्करी जैसी गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों का उल्लेख करते हुए अपने भाषण का समापन किया।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download