भारत और चीन के रिश्ते में कड़वाहट की धुंध

#Business_Standard_Editorial

हाल ही का सन्दर्भ

भारत और चीन के रिश्ते तीक्ष्ण विवाद की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं क्योंकि दोनों देश एक दूसरे के कदम पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।  चीन ने बार-बार पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादी बताए जाने को तकनीकी आधार पर रोका है। भारत ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह दोहरा रुख अपना रहा है और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ होने की अपनी ही बात से पीछे हट रहा है। दोनों देश लगातार कहते रहे हैं कि वे आतंकवाद के खिलाफ हैं। इसलिए चीन के रुख पर भारत का विरोध कतई अजीब नहीं है। 

  • चीन ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह में शामिल किए जाने का भी विरोध किया है। उसका कहना है कि ऐसा करने से अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार की व्यवस्था को धक्का पहुंचेगा। लेकिन निजी तौर पर चीन यह कह चुका है कि अगर भारत और पाकिस्तान को एक साथ एनएसजी का सदस्य बनाया जाता है तो इसमें कोई समस्या नहीं है। हालांकि उपरोक्त दोनों ही मामलों में पाकिस्तान ही साझा कारक है। 
  • भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में चीन पर दबाव बनाया जिसके चलते उसने पाकिस्तान के समर्थन के बारे में अपनी स्थिति को सार्वजनिक किया। यह बात भारत की चीन के बारे में शत्रुतापूर्ण धारणा को और सही साबित करती है। ऐसे कदम उठाने के बाद चीन के लिए भी अपने कदम पीछे खींचना मुश्किल है।
  • भारत ने हाल ही में अग्नि-4 और अग्नि -5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र (आईसीबीएम) का परीक्षण किया है। भारतीय मीडिया ने इसे ऐसे पेश किया जैसे यह चीन को ध्यान में रखकर बनाई गई है। हालांकि आधिकारिक वक्तव्य में हमेशा की तरह यही कहा गया कि यह क्षमता किसी खास देश को ध्यान में रखकर नहीं विकसित की गई है। चीन ने अपनी अतीत की नीति के उलट इन परीक्षणों पर पहली बार आधिकारिक प्रतिक्रिया दी।
  • उसने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1172वें प्रस्ताव का उल्लंघन है जो 6 जून 2008 को पारित किया गया था। इस  प्रस्ताव को भारत और पाकिस्तान द्वारा एक के बाद एक परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद पारित किया गया था। उसमें इन परीक्षणों की आलोचना करते हुए कहा गया था कि वे तत्काल परमाणु हथियार विकसित करना बंद करें और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का निर्माण भी रोक दें। चीन के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि अग्नि का परीक्षण उपरोक्त समझौते का उल्लंघन है। उसने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने यह स्पष्टï व्यवस्था दी है कि भारत परमाणु हथियार क्षमता संपन्न बैलिस्टिक मिसाइल विकसित कर सकता है या नहीं। यह बात ध्यान दिए जाने लायक है कि चीन ने कभी भारत को परमाणु हथियार संपन्न देश नहीं माना और विभिन्न चर्चाओं में इस संबंध में दबाव बनने पर उसने इस समझौते का सहारा लिया। 
  • भारत की बात करें तो यहां भी तिब्बत मुद्दे को दोबारा छेडऩे की मंशा साफ नजर आती है। नोबेल विजेताओं के सम्मेलन में दलाई लामा को राष्ट्रपति भवन आमंत्रित किया जाना पिछली नीति से स्पष्टï रूप से अलग है। उस नीति के तहत सरकार तिब्बत के नेता की सक्रियता से खुद को नहीं जोड़ती थी। करमापा भी सार्वजनिक रूप से अधिक सक्रिय नजर आ रहे हैं। यह भी नीतिगत बदलाव का ही उदाहरण है। भारत अपने स्तर पर चीन पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है। 

आवश्यकता किस बात की

दोनों देशों को अपने कदम पीछे खींचकर द्विपक्षीय रिश्तों पर ध्यान देना चाहिए ताकि मौजूदा तनाव दूर हो सके। चीन को भी चाहिए कि वह भारत को केवल अमेरिका या पाकिस्तान के साथ रिश्तों से जोड़कर नहीं देखे। वह भारत को अमेरिका के साथ बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के चश्मे से देखना बंद कर दे। ठीक वैसे ही जैसे अतीत में वह भारत को सोवियत संघ के सहयोगी के रूप में देखता था। 

 अक्सर यह जिक्र किया जाता है कि चीन का जीडीपी भारत की तुलना में पांच गुना है और इसलिए भारत को अपना कद छोटा होने का अहसास रखना चाहिए। चीन शायद यह भूल गया है कि खुद उसका जीडीपी अमेरिका की तुलना में नगण्य है। क्या वह अमेरिका के सामने खुद को छोटा मानता है? नहीं तो फिर भारत ऐसा क्यों करेगा? भारत की बात करें तो उम्मीद की जानी चाहिए कि हम चीन के भड़काऊ कदमों पर प्रतिक्रिया देना बंद करेंगे। हमें ऐसी परिस्थितियां नहीं बनने देनी चाहिए जिन पर किसी का नियंत्रण नहीं हो। क्योंकि उसके परिणाम दोनों देशों को भुगतने होंगे। हमें जन भावनाओं को नेतृत्व के निर्णयों पर हावी नहीं होने देना चाहिए। भारत और चीन के रिश्ते खराब हैं और निकट भविष्य में वे ऐसे ही रहेंगे। ऐसे में यह बात दोनों देशों के हित में होगी कि वे इन्हें और खराब न होने दें। 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download