म्यांमार से मित्रता बढ़ाने का समय

Recent visit pf PM will open new vistas in India Myanmar relation. The dormant relation will see a boost.

#Dainik_Jagaran

चीन में आयोजित ब्रिक्स शिखर वार्ता के अतिरिक्त प्रधानमंत्री की यात्रा का दूसरा पड़ाव है म्यांमार, जिसे भारत के दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (आसियान) के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता है। भारत और म्यांमार के मैत्रीपूर्ण संबंध बहुआयामी

प्रधानमंत्री की  म्यांमार यात्रा का महत्व इसलिए बढ़ गया है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान रोहिंग्या मुसलमानों के उत्पीड़न एवं पलायन के साथ-साथ उनके भारत में प्रवेश करने से उत्पन्न समस्या पर भी चर्चा होने की संभावना है।

India & Maynmar cooperation in area of

  • चूंकि भारत और म्यांमार, दोनों देश आतंकवाद और अलगाववाद की समस्या से जूझ रहे है इसलिए आपसी सहयोग के जरिये इनसे निजात पाना दोनों देशों की प्राथमिकता सूची में शामिल है।
  • आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में साझा प्रतिबद्धता के तहत दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग को और भी मजबूत किया जा रहा है। भारत और म्यांमार के सुरक्षाबलों और सीमा सुरक्षा एजेंसियों के बीच बढ़ता सहयोग इसे रेखांकित भी करता है।
  • दोनों देशों के बीच 1,600 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा है। ऐसे में बेहतर सीमा प्रबंधन के लिए दोनों देशों में सहयोग को और मजबूत करने की जरूरत है।
  • नागरिकों की आवाजाही और व्यापार एवं पर्यटन को प्रोत्साहित करने और सहज बनाने के लिए दोनों देश प्रयत्नशील हैं।
  • सीमा पर आव्रजन सुविधाओं की स्थापना इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
    भारत म्यांमार के रक्षा और सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए प्रतिबद्ध है।
  • इसके तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम, संयुक्त अभ्यास और रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में सहयोग का व्यापक विस्तार शामिल है।
  • दोनों देशों की नौसेना के बीच सहयोग में भी तेजी आई है। नौसेना बलों द्वारा संयुक्त समुद्री गश्ती में बढ़ोतरी के साथ म्यांमार को एक पेशेवर और सक्षम नौसेना का निर्माण करने और उसकी समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत हरसंभव सहयोग देने को तैयार है।
  • इसके अतिरिक्त भारतीय नौसेना, म्यांमार नौसेना को मौसम संबंधी सुविधाओं का निर्माण करने में सहयोग को भी तैयार है।
  • प्रधानमंत्री के ब्लू इकॉनमी दृष्टिकोण और म्यांमार के साथ समुद्री सहयोग के विकास पर निकट सहयोग भारत के राष्ट्रीय हित और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अत्यावश्यक है। इस दिशा में हो रहे प्रयास दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने के साथ समुद्री सीमा को महफूज बनाने में मददगार होंगे।
  • वाणिज्य और व्यापार के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच असीम संभावनाएं है। बंदरगाह, बिजली, कृषि उद्योग, वन उत्पादों, खनन, निर्माण उद्योग, उपभोक्ता सामान, विनिर्माण और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों में निवेश के व्यापक अवसर हैं।
  • म्यांमार में भारतीय बैंकों की शाखाएं खोलने की अनुमति मिल जाने से आपसी लेन-देन और भुगतान में सहूलियत होगी। सीमावर्ती इलाकों में लोगों के विकास और समृद्धि के लिए दोनों देश बुनियादी ढांचे और कई लघु-आर्थिक परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं जिसमें सड़क में सुधार, स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना, पुलों का निर्माण और कृषि संबंधित प्रशिक्षण गतिविधियां शामिल हैं।
  • इसके अलावा भारत यांगून और सित्तवे में अस्पताल, उन्नत कृषि अनुसंधान और शिक्षा केंद्र, राइस बायोपार्क, म्यांमार इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की स्थापना सहित कई अन्य प्रशिक्षण केंद्रों और कौशल विकास के दिशा में सहयोग कर रहा है। भारत विभिन्न परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञता और वित्तीय मदद भी मुहैया करा रहा है।
  • अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस में म्यांमार की भागीदारी के लिए भारत ने पेशकश की है।
  • भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी सरीखी कई प्राकृतिक आपदाओं से म्यांमार बहुत प्रभावित होता है। इन विपत्तियों से निपटने के लिए आपदा राहत प्रबंधन, सहयोग और प्रशिक्षण में भारत का सहयोग अत्यंत उपयोगी है। प्राकृतिक आपदा के समय भारत की ओर से पड़ोसी राष्ट्रों को त्वरित सहायता से हम सब परिचित हैं। मानवीय सहायता और आपदा राहत के क्षेत्र में सहयोग सुदृढ़ होना लाजिमी है।
  • भारत और म्यांमार के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। सभ्यता और संस्कृति को जोड़ना प्रधानमंत्री मोदी की प्राथमिकताओं में शामिल है। प्रमुख धार्मिक केंद्रों को यातायात के माध्यमों से जोड़ना, धार्मिक तीर्थयात्रा को प्रोत्साहन, प्राचीन स्मारकों, स्तूपों और मंदिरों का जीर्णोद्धार और सांस्कृतिक एवं धार्मिक शिक्षा तथा अनुसंधान इस दिशा में किए जा रहे प्रयास हैं।
  • इंडिया-म्यांमार फ्रेंडशिप एसोसिएशन और एमिनेंट पर्सन्स ग्र्रुप सहयोग की संभावनाओं और प्रयासों को और गति प्रदान करेगा।

भारत-म्यांमार मित्रता में मजबूती से म्यांमार की चीन पर निर्भरता कम होगी और दोनों के बीच निकट सहयोग क्षेत्रीय शांति और विकास को बढ़ावा देगा। प्रधानमंत्री मोदी की म्यांमार यात्रा ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को अमल में लाने का एक और मजबूत कदम और क्षेत्रीय विकास में भारत की भागीदारी और योगदान की विश्वसनीयता का द्योतक है।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download