With global geopolitics on the boil, and the Hindi-Chini relationship in free fall, it should be in India’s interest to secure its own neighborhood,
#Jansatta
भारत और नेपाल के रिश्तों में कुछ समय से खटास की स्थिति थी। लेकिन दोनों देशों के संबंधों के अतीत के मद्देनजर और वर्तमान के महत्त्व को देखते हुए बिगड़ते हालात को सुधारने की कोशिशें हुर्इं, और अब दोनों देशों के संबंध फिर पटरी पर आते दिख रहे हैं।
Tension in front of INDIA
- भारत के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चिंता यही है कि जिन पड़ोसी देशों के साथ संबंध सहज नहीं हैं, वे कहीं भारत-विरोधी गतिविधियों के अड्डे न बन जाएं। पाकिस्तान इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
- थोड़े समय पहले नेपाल को लेकर भी इस तरह की आशंकाएं पैदा हुई थीं।
Recent visit of Nepal PM
भारत के दौरे पर आए नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने गुरुवार को भरोसा दिलाया कि नेपाल कभी भी अपनी धरती से भारत-विरोधी गतिविधियां नहीं चलने देगा। इसके अलावा, दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच शिखर वार्ता के बाद सुरक्षा मुद्दों, सड़क निर्माण और मादक पदार्थों की तस्करी नियंत्रित करने सहित आठ समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। गौरतलब है कि भारत और नेपाल अपने राजनयिक संबंधों की सत्तरवीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
China & Nepal
- कुछ समय से नेपाल में चीन जिस तरह की दिलचस्पी दिखा रहा है, उसे देखते हुए इस शिखर वार्ता में रणनीति के स्तर पर द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की अहमियत समझी जा सकती है।
- करीब साल भर पहले यह खबर आई थी कि नेपाल को भारत की ओर से की जाने वाली मदद घट कर आधी रह गई है, जबकि चीन ने अपनी ओर से नेपाल को सहायता के मद में जारी राशि को दोगुना कर दिया था।
Winning confidence of Nepal
- लेकिन भारत और चीन के बीच जिस तरह की तनातनी चल रही है, उसमें नेपाल पर चीन के प्रभाव को बढ़ने देना एक रणनीतिक भूल होती। इसलिए नेपाल का भरोसा पहले जैसा बहाल करना भारत के लिए जरूरी था।
- यों नेपाल में अप्रैल 2015 में भयावह भूकम्प के बाद पुनर्निर्माण कार्यों के लिए भारत ने एक अरब डॉलर की राशि देने की घोषणा की थी। अब देउबा के इस दौरे में नेपाल में पचास हजार घरों के पुनर्निर्माण में मदद के लिए आवास अनुदान, शिक्षा, सांस्कृतिक विरासत और स्वास्थ्य क्षेत्र में कई समझौते हुए।
भारत और नेपाल के बीच जैसे संबंध रहे हैं उसकी तुलना दूसरे देशों से नहीं की जा सकती। दोनों देशों की आपसी सीमा खुली हुई है और दोनों तरफ के लोगों के बीच संपर्क और संबंध का सहज तानाबाना मौजूद है। भारत ने नेपाल के लोगों को अपने यहां पढ़ाई-लिखाई करने, रहने और काम करने की सुविधा दे रखी है। नेपाल की अर्थव्यवस्था कई मायनों में भारत पर निर्भर है। यही वजह है कि जब दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आती है तो उसका सीधा असर बहुत-से लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर भी पड़ता है। यह संतोष की बात है कि ताजा शिखर वार्ता के बाद संबंधों के फिर से सामान्य हो जाने का भरोसा जगा है