रणनीतिक दक्षिण चीन सागर (एससीएस) क्षेत्र में चीन की जोर अजमाइश के बीच से वहां से गुजरने वाले समुद्री लेन को वैश्विक व्यापार के लिए मुख्य मार्ग करार देते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत नौवहन की स्वतंत्रता का समर्थन करता है। इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून का पूर्ण सम्मान किए जाने पर बल दिया।
- दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर भारत के सैद्धांतिक रूख को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने 11वें पूर्व एशिया सम्मेलन (ईएएस) में अपने संबोधन में कहा कि मुद्दे के हल के लिए ताकत की धमकी या इस्तेमाल से मामला जटिल हो जाएगा और शांति एवं स्थायित्व पर असर पड़ेगा।
- मोदी की लाओस में उनके समकक्ष थोंगलोउन सिसोउलिथ के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान यह मुद्दा उठा था और दोनों देशों का दक्षिण चीन सागर पर समान रूख था।
- भारत मानता है कि दक्षिण चीन सागर में आवागमन के समुद्री लेन वैश्विक व्यापार के मुख्य मार्ग हैं तथा विवादों के समाधान के लिए ताकत की धमकी या इस्तेमाल से मामला बिगड़ेगा एवं शांति एवं स्थायित्व पर असर पड़ेगा।
★ ‘भारत अंतरराष्ट्रीय कानून, जो खास तौर पर 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून संधि में परिलक्षित है, के आधार पर नौवहन की स्वतंत्रता का समर्थन करता है।’
★ बांग्लादेश के साथ समुद्री सीमा के समाधान में भारत का अपना इतिहास उदाहरण के रूप में काम आ सकता है।
★भारत का बयान ऐसे समय में आया है जब विवादास्पद दक्षिण चीन सागर में चीन की जोर अजमाइश चल रही है और क्षेत्रीय चुनौतियां उभर रही हैं। चीन दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय स्वामित्व को लेकर फिलीपिन, वियतनाम, ताइवान, मलेशिया और ब्रूनेई के साथ विवाद में उलझा हुआ है। यह एक ऐसा जलमार्ग है जहां से भारत का आधा व्यापार होता है।
★पहले भी दक्षिण चीन सागर में वियतनाम के न्यौते पर गए भारत के तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग द्वारा उत्खनन पर चीन एतराज कर चुका है। समझा जाता है कि दक्षिण चीन सागर में तेल एवं गैस के भंडार हैं।
★भारत और अमेरिका अंतरराष्ट्रीय जल में आवागमन की स्वतंत्रता का आह्वान करते रहे हैं जो चीन के लिए असहज करने जैसा है। दक्षिण चीन सागर पर उसके दावे को हाल ही में अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने फिलीपिन के पक्ष में खारिज कर दिय था।
★ भारत समुद्री संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरण क्षरण के रोकथाम और समुद्री अर्थव्यवस्था के दोहन में अपने अनुभव साझा करते हुए साझेदारी कर सकता है।
- भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि देशों को साझा सुरक्षा चुनौतियों पर चौकस रहने की जरूरत है और उसके लिए भारत इसी साल समुद्री सुरक्षा एवं सहयोग पर दूसरा ईएएस का आयोजन करेगा। प्राकृतिक आपदाओं को मुख्य चिंता बताते हुए प्रधानमंत्री ने समेकित पहलों और कार्रवाई तैयार करने में भारत के सहयोग की घोषणा की।