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लगभग 2 महीने से भारत-चीन (China) में डोकलाम मुद्दे को लेकर तनातनी चली आ रही है। चीन ने अब तक पीछे हटने या नर्म पडऩे का कोई संकेत पेश नहीं किया है बल्कि भारत को साफ शब्दों में धमकाने का ही काम कर रहा है। फिलहाल तो सीमा पर दोनों देशों के जवान संयम दिखा रहे हैं परंतु यह संयम कब टूट जाए कहना मुश्किल है।
India need to prepare itself o counter China in any situation
ऐसे माहौल में स्वाभाविक है कि चीन के साथ किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारत तैयार रहे परंतु तथ्यों पर गौर करने पर पता चलता है कि :
- भारत में चीन सीमा के साथ सड़कों तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है जो उसके साथ युद्ध होने की स्थिति में देश की सुरक्षा में आड़े आ सकती हैं।
- गत 15 वर्षों के दौरान जिन 4643 किलोमीटर लम्बी कुल 73 सड़कों के निर्माण को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना गया है उनमें से
- अब तक केवल 963 किलोमीटर लम्बी 27 सड़कें ही बन सकी हैं। इसके अलावा पश्चिमी तथा पूर्वी सीमाओं पर लम्बे समय से प्रस्तावित 14 स्ट्रैटेजिक रेलवे लाइनों पर अभी तक काम ही शुरू नहीं हुआ है।
China & Border Infrastructure
चीन के साथ लगती सीमा पर भारत द्वारा सड़क निर्माण में ढिलाई इसलिए भी ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि भारत के विपरीत चीन ने:
- तिब्बत में रेलवे लाइनों, हाईवे, मैटल-टॉप रोड, एयर बेस, राडार, लॉजिस्टिक हब्स आदि का पूरा जाल बिछा लिया है जो सेना की 30 डिवीजनों (प्रत्येक में 15 हजार सैनिक) और 5 से 6 रैपिड रिएक्शन फोर्सेज को हर चीज की आपूर्ति के लिए पर्याप्त है।
- भारत के साथ लगती 4057 किलोमीटर लम्बी सीमा पर चीनी सेना को भारतीय फौज से लोहा लेने के लिए लिए ‘9 :1 कॉम्बैट रेशो’ की जरूरत होगी। इसका अर्थ है कि एक रक्षक के लिए कम से कम 9 हमलावरों की आवश्यकता होगी।
India’s Weak Border Infrastructure
गौरतलब है कि भारतीय सेना के पास ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल’ (एल.ए.सी.) के लिए एक दर्जन डिवीजनें हैं। इसके अलावा इलाके में अनेक वायुसेना के ठिकाने भी मौजूद हैं। इसके बावजूद एल.ए.सी. के साथ सड़कों जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी बड़ी चिंता का कारण है जिसके कारण चीन के साथ युद्ध की स्थिति में भारतीय सैनिकों तक रसद पहुंचने में कठिनाई हो सकती है। एल.ए.सी. पर सड़कों तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण सेना तथा भारी हथियारों की सुगम आवाजाही में पड़ रही बाधा को देखते हुए केंद्र सरकार ने अब सीमा सड़क संगठन को ज्यादा प्रशासनिक तथा वित्तीय शक्तियां प्रदान कर दी हैं ताकि चीन के साथ लगती देश की सीमा पर भारत की ओर सड़कों के निर्माण में तेजी लाई जा सके।
Recent measure : Empowering BRO (Border Road Organisation)
- हाल ही में रक्षा मंत्री ने कहा है कि सीमा सड़क संगठन को अधिक शक्तियां देने से सीमा पर निर्माण कार्यों में अवश्य तेजी आएगी और संगठन जारी कार्यों को भी शीघ्रता से पूरा कर सकेगा।
- नई शक्तियों के अंतर्गत संगठन का चीफ इंजीनियर अब 50 करोड़ रुपए तक के टैंडर को प्रशासनिक मंजूरी दे सकेगा, एडिशनल डायरैक्टर जनरल 75 करोड़ तथा डायरैक्टर जनरल 100 करोड़ रुपए तक के कांट्रैक्ट्स के लिए मंजूरी दे सकेंगे।
- चीन के साथ विवाद के बीच भारत के लिए चिंता और बढ़ जाती है क्योंकि हाल के दिनों में चीन ने युद्ध अभ्यास बढ़ा दिए हैं जिससे स्पष्ट संकेत है कि वह भारत के साथ युद्ध के लिए कमर कस कर तैयारी कर रहा है।
हाल ही में चीनी सेना का युद्धाभ्यास करते हुए एक वीडियो सामने आया जिसमें पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने तिब्बत में कम ऑक्सीजन वाले क्षेत्र में युद्ध लडऩे की अपनी क्षमताओं का परीक्षण किया। जुलाई में भी चीनी सेना ने भारत से सटे तिब्बत में सैन्य अभ्यास किया था। यह सब मुख्य रूप से मनोवैज्ञानिक स्तर पर भारत को डराने के तरीके माने जा सकते हैं। ऐसे में हाल ही में जनरल रावत की ओर से दिए गए बयान महत्वपूर्ण हैं, जिनमें उन्होंने यह कहा है कि चीन कोशिश में है कि बरसों से चली आ रही यथापूर्व स्थिति को बदला जाए और यह केवल डोकलाम पठार या तिब्बत क्षेत्र की बात नहीं, चीन अब जंग या विवाद की जगहें बढ़ाएगा और बदलता जाएगा, ऐसे में जहां एक ओर सेना को सतर्क रहना होगा वहीं सरकार को भी सतर्कता और तेजी दोनों दिखानी पड़ेंगी।