सन्दर्भ:- इजरायल के राष्ट्रपति की भारत यात्रा
- भारत एवं इजरायल ने अपनी बढ़ती नजदीकियों का परिचय देते हुए अपनी पहले से ही करीबी रक्षा भागीदारी को और व्यापक बनाने तथा कट्टरवाद एवं चरमपंथ से निबटने के लिए सहयोग व्यापक बनाने का निर्णय किया है। दोनों देशों ने आतंकवादी नेटवर्क और उनका पालन पोषण करने वाले दशों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए वैश्विक समुदाय का आह्वान किया।
- दोनों देशों ने व्यापार एवं निवेश, कृषि, जल संसाधन एवं साइबर अपराध सहित विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों को और गहरा बनाने के बारे में सहमति जतायी।
- दोनों देशों के लोग निरंतर आतंकवाद एवं उग्रवाद की ताकतों का खतरा झेलते रहे हैं। दोनों ही पक्ष उनसे प्रभावी ढंग से निपटने में सहयोग बढ़ाने को तैयार हो गए हैं विशेषकर साइबर क्षेत्रों जैसे विशिष्ट एवं व्यावहारिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के बारे में।
- दोनों देश यह स्वीकार करते हैं कि आतंकवाद एक वैश्विक चुनौती है जो कोई सीमा नहीं जानता तथा जिसका संगठित अपराध के अन्य स्वरूपों से व्यापक संबंध हैं।’
- दोनों पक्षों ने बढ़ती रक्षा भागीदारी की क्षमता पर गौर किया और इस जरूरत पर सहमति जतायी कि उत्पादन एवं विनिर्माण भागीदारी के जरिये इसे और व्यापक बनाया जाना चाहिए।
भारत इजरायल के सैन्य साजोसमान का सबसे बड़ा क्रेता है। पिछले कुछ वषों से भारत इजरायल से विभिन्न हथियार प्रणालियां, प्रक्षेपास्त्र, मानव रहित वायु वाहन खरीदता रहा है किन्तु अधिकतर लेनदेन गुपचुप ढंग से होता रहा है।
दोनों पक्षों ने कृषि तथा जल संसाधन प्रबंधन क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए दो समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
दोनों देशों के बीच गठजोड़ बढ़ने विशेषकर रक्षा क्षेत्र की ओर चर्चा करते हुए इस्राइल के राष्ट्रपति रिवलिन ने कहा कि उनका देश ‘मेक इन इंडिया और मेक विद इंडिया’ के लिए तैयार है।
पिछले दो दशकों में इस्राइल का राष्ट्रपति पहली बार भारत आया है। रिवलिन ने इस बात पर बल दिया कि आतंकवाद को कैसे भी सही नहीं ठहराया जा सकता। ‘हम अपने लोगों एवं अपने मूल्यों की रक्षा करने के लिए एकजुट हैं।’