- जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल तीन दिन की भारत यात्रा पर आ रही हैं। इस दौरान वह व्यापार और क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति सहित मुख्य द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यापक वार्ता करेंगी।
- इस दौरान उनके दिमाग पर सीरिया में चल रहे संघर्ष के कारण भारी संख्या में जर्मनी पहुंचे शरणार्थियों की चिंता भी होगी। इस संकट के कारण आने वाले कुछ महीनों और सालों तक जर्मनी की आर्थिक हालत पर जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा।
- ऐसे में मर्केल की यह भारत यात्रा अहम मानी जा रही है, जिसमें वह उत्पादक व्यावसायिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश करेंगी। ऐसा होने पर यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के आर्थिक भार में कुछ कमी आएगी।
- दो देशों के बीच यह तीसरी आंतरिक सरकारी चर्चा होगी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एजेंला मर्केल अपनी-अपनी कैबिनेट के छह-छह मंत्रियों के साथ बातचीत करेंगी। इसमें विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, शिक्षा मंत्री सहित अन्य मंत्री भी शामिल होंगे।
=>जर्मनी के साथ संबंधों का महत्व :-
- दोनों देशों के बीच बीते कुछ वर्षों में आर्थिक संबंध तेजी से बढ़े हैं। यूरोप में भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर जर्मनी है, वहीं तकनीकी सहयोग में वह दूसरा अहम साझेदार है।
- हालांकि, विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारकों की वजह से पिछले कुछ वर्षों से द्विपक्षीय व्यापार में ठहराव आ गया है।
- दोनों देशों की बीच वर्ष 2014 में 15.96 अरब यूरो का व्यापर हुआ।
✓✓ पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा ज्ञान आधारित क्षेत्रों जैसे आईटी, आईटीईएस, जैव प्रौद्योगिकी, ऑटो, कल-पुर्जे, अक्षय ऊर्जा, हरित प्रौद्योगिकी, शहरी गतिशीलता एवं विकास और मनोरंजन उद्योग में सहयोग के लिए अच्छी संभावनाएं हैं।
✓✓ भारत में वर्ष 2000 से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के मामले में जर्मनी आठवां सबसे बड़ा देश है। वर्ष 1991 से फरवरी 2015 तक जर्मनी का भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करीब 8.25 अरब डॉलर का है।