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Changing scenario and India China relation:
भारत और चीन को यह कहने की क्या जरूरत पड़ गई कि उनकी स्थिति अब 1962 जैसी नहीं है। भारत और चीन ही क्या, दुनिया के एकाध देश को छोड़कर किसी भी देश की स्थिति 55 साल पहले जैसी नहीं रही होगी। चीन के साथ सीमा विवाद के गहराते संकट के बीच एक-दूसरे को धमकी देकर न चीन को कुछ हासिल होने वाला है और न भारत को। पहले तिब्बत फिर अरुणाचल प्रदेश और अब सिक्किम सीमा पर चीन के हस्तक्षेप ने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाया है।
Contentious issue in Sikkim:
- भारत-चीन के बीच सिक्किम में 220 किलोमीटर लंबी सीमा सदा से विवाद का कारण रही है।
- इस इलाके में सीमा रेखा के स्पष्ट नहीं होने से दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प होती रहती है।
- हाल के दिनों में अमरीका के साथ भारत की बढ़ती नजदीकियां चीन को रास नहीं आ रही हैं
- चीन रह-रहकर भारत को उकसाने वाली कार्रवाई करता रहा है।
- चीन कभी ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाकर पानी अपनी तरफ मोड़ कर विवाद को हवा देता है तो कभी सिक्किम में सड़क बनाकर अपनी कुटिल चाल चलता है। चीन की असली चिंता अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की बढ़ती ताकत है
- पिछले एक दशक में भारत ने जिस तरह प्रगति की राह पकड़ी है, चीन उसे पचा नहीं पा रहा। चीन भारत के साथ ही विवाद में नहीं उलझा है।
- दक्षिण चीन सागर पर एकाधिकार को लेकर उसकी वियतनाम, फिलीपींस, ताइवान और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ ठनी हुई है। मामला अंतरराष्ट्रीय पंचायत तक पहुंच चुका है। लेकिन चीन अपना अडिय़ल रवैया छोडऩे को तैयार नहीं।
- चीन दूसरे देशों के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करना चाहता है। आज उत्तर कोरिया को छोड़ दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं जिसे चीन अपना विश्वस्त सहयोगी देश कह सके।
- चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर के निर्माण को लेकर चीन भारत को परेशान करना चाहता है।
Strategy of India:
भारत 1962 के बाद से ही चीन की चालों को समझ भी रहा है और उसके अनुकूल जवाब भी दे रहा है। लेकिन चीन है कि अपनी हठधर्मिता छोडऩे को तैयार ही नहीं। एक तरफ वह भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो दूसरी तरफ विवादों को हवा भी देता रहता है। चीन के मामले में एक बार हम धोखा खा चुके हैं लिहाजा हर तरफ से सतर्क रहते हुए सोच-विचार कर कदम उठाना होगा।
भारत को अपनी तैयारियां पूरी रखनी होगी। भारत-चीन सीमा का सच यह है कि चीन ने वहां पर रेल और सड़क समेत एक बड़ा सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर लिया है। लेकिन दूसरी तरफ भारत इस मामले में बहुत पीछे है। योजनाएं तो भारत की तरफ से भी बनी हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं हो सका। भारत ने लद्दाख तक बारहमासी सड़क के निर्माण की जो परियोजना बनाई थी, वह अभी तक रोहतांग सुरंग में ही अटकी हुई है। यह ठीक है कि चीन से लगी हुई भारत की सीमाओं पर अभी भी उस तरह का तनाव नहीं है, जिस तरह का पाकिस्तान की सीमा पर है, उस तरह की आशंकाएं भी फिलहाल नहीं हैं, लेकिन हमें उतनी तैयारियां तो करनी ही पड़ेंगी, जितनी दूसरी तरफ हो रही हैं। उतनी ही तेजी से भी।