पाकिस्तान की नीतियों पर एक नजर

Pakistan policy towards its neighbours

#Punjab_Kesari

राजनीतिक नेतृत्व में परिवर्तन से पाकिस्तान में ज्यादा कुछ बदलने वाला नहीं है। इसकी जड़ पाकिस्तान में व्याप्त असुरक्षा की भावना है जिसकी शुरूआत 1947 में ही हो गई थी। यह वह भावना है जो तब पाकिस्तान के प्रति अफगानिस्तान के आक्रामक रवैये की वजह से और बढ़ गई थी। (अफगानिस्तान ने ड्यूरांड रेखा को मान्यता नहीं दी थी क्योंकि उसे लगता था कि पाकिस्तान ने उसके दो सीमांत प्रांतों को हथिया लिया था) वास्तव में 1947 में संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान की एंट्री का विरोध करने वाला अफगानिस्तान ही विश्व का एकमात्र देश था। इन परिस्थितियों में मदद के लिए पाकिस्तान ने विदेशों, खासकर अमरीका का रुख किया। विदेशी मदद के लिए तेल जैसे संसाधन के अभाव में पाकिस्तान ने अपनी भौगोलिक स्थिति का लाभ देने का प्रस्ताव दिया।

Military & Economic Position: Historic Perspective

पाकिस्तान में सेना टैक्स अदा नहीं करती है इसलिए समाज के अन्य वर्गों की तुलना में वह बेहतर जीवनशैली का आनंद लेती है। अब मदद के बदले में और कौन-सी चीज का प्रस्ताव सेना दे सकती थी-यह थी अपने प्रतिभारत की आक्रामकतातथा अपनीकमजोर आॢथक स्थिति हालांकि, मिलने वाली मदद का इस्तेमाल अत्याधुनिक सैन्य साजो-सामान खरीदने में किया गया जिसका कोई अंत दिखाई नहीं देता। जहां तक चीन का संबंध है पाकिस्तान को पहले ही यह आभास हो गया था कि वह अलग-थलग है। नेहरू तथा चाऊ-एन-लाई के अच्छे संबंधों के बावजूद उसे वाणिज्यिक सहयोगियों की जरूरत थी। पाकिस्तान ने कपास के बदले में इससे कोयला खरीदने का प्रस्ताव दिया।

China angle in Policy

  • पाकिस्तान और चीन की मित्रता को पक्का करने का काम किया 1962 में चीन-भारत युद्ध ने।
  • इसने एक बार फिर से यह बात तो साबित की ही कि भारत उन दोनों का सांझा शत्रु तो है इस युद्ध के बाद चीन को कश्मीर में कुछ इलाका भी मिल गया जिसका भारत ने हमेशा विरोध किया। अब चीनी पाकिस्तान होकर पश्चिम की ओर जा सकते थे।
  • 1965 में भारत-पाक युद्ध के बाद चीन को पाकिस्तान के साथ अपनीएकतादिखाने का एक मौका मिला था और 1971 में जब अमरीका ने भारत तथा पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाए तो चीन ने एक समुद्री समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसका उद्देश्य एक-दूसरे के जहाजों को बंदरगाह की सुविधाएं उपलब्ध करना था।
  •  कूटनयिक तौर पर चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परषिद के स्थायी सदस्यों में से एक के नाते पाकिस्तान को कश्मीर के मुद्दे पर अपना समर्थन प्रदान किया। दूसरी ओर पाकिस्तान ने भी चीन को अमरीका के साथ संबंधों में जमाव की बर्फ पिघलाने में मदद दी।
  • निक्सन द्वारा पेइचिंग से संपर्क करने का फैसला करने के बाद पाकिस्तान ने ही दोनों देशों के नेताओं के बीच बातचीत की जमीन तैयार की थी और वह किसिंजर के साथ पेइचिंग गए थे।
  •  1962 में चीन ने 80 मिग विमान देने और 1967 में सिर्फ पाकिस्तान को 100 अतिरिक्त टैंक देने का वायदा किया बल्कि पाकिस्तान के 75 प्रतिशत टैंक और इसकी वायुसेना के 65 प्रतिशत विमान चीन के बने हुए हैं।
  • वर्ष 2005 में चीन द्वारा पाकिस्तान को 5 समुद्री युद्ध पोत देने के साथ ही अब चीन और पाकिस्तान मिलकर संयुक्त रूप से जे-17 थंडर लड़ाकू विमान बना रहे हैं। इसके साथ ही चीन ने पाकिस्तान को परमाणु बम बनाने के अलावा 40 मैगावाट का रिएक्टर बनाने में भी सहायता दी है जिसका इस्तेमाल इसके शस्त्रास्त्र कार्यक्रम को प्लूटोनियम उपलब्ध करवाने में किया जाएगा।

समुद्र तल से 15397 की ऊंचाई पर स्थापित होने वाला कराकोरम हाईवे सबसे ऊंचा अंतर्राष्ट्रीय मार्ग है जिसका निर्माण 1971 में किया गया था और जो बाद में गवादर तक पहुंचा। इसकी बदौलत चीन व्यापार और सैन्य उद्देश्यों के लिए हिंद महासागर तक पहुंच गया है। इस समय तथ्य यह है कि भारत को पश्चिम में पाकिस्तान के साथ व्यस्त रखा गया है जबकि भारत सरकार पूर्व में दक्षिण एशियाई देशों के साथ व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने और वहां अपना प्रभाव बढ़ाने के प्रयास कर सकती थी। अब जबकि सभी देश चीन की विस्तारवादी नीति से तंग चुके हैं तो भारत को एक बार फिरपूर्व की ओरदेखने का मौका मिला है

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