रोमा समुदाय के लोग मूल रूप से भारत के हैं। इनके रीति-रिवाज, रहन-सहन और बोली-भाषा के देखते हुए इतिहासकारों का यही मानना रहा है कि उनके पूर्वज डेढ़ हजार साल पहले भारत के उन हिस्सों से चले थे, जिन्हें आज राजस्थान, सिंध और पंजाब के नाम से जाना जाता है। ये 15वीं सदी तक पूरे यूरोप में फैल गए।
1500 साल पहले भारत से गए थे ईरान
- 'करंट बायोलॉजी' नाम की मैगजीन में छपी एक रिसर्च में भी ये कंफर्म किया गया है कि रोमा समुदाय का नाता भारत से है।
- ये भारत के उत्तर और उत्तर पश्चिम इलाके से संबंध रखते थे। ये 1500 साल पहले ईरान पहुंचे थे, फिर 15वीं सदी में ईरान के रास्ते यूरोप पहुंचे।
- 900 साल पहले यानी 11वीं-12वीं सदी में वे ग्रीस, रोमानिया, बुल्गारियास, यूगोस्लाविया के रास्ते यूरोप में फैलने लगे थे।
- अनुमान के मुताबिक, यूरोप में इनकी संख्या करीब 1 करोड़ से ज्यादा है। हालांकि, पूरे यूरोप में फैले होने की वजह से इनका डाटा कलेक्शन आसान नहीं है।
यूरोप के किन हिस्सों में रह रहे रोमा?
- ये सेंट्रल और ईस्टर्न यूरोप के स्वीडन, स्पेन, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, तुर्की, फ्रांस, ग्रीस, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया, मैसेडोनिया, स्लोवाकिया, रोमानिया, सर्बिया और हंगरी में रहते हैं।
नहीं मिला बराबरी का दर्जा
- इतने साल से यूरोप में बसे होने के बाद भी इन्हें बराबरी का दर्जा नहीं मिला और ये भेदभाव का शिकार हो रहे हैं।
- इन्हें यहां पर भीख मांगने वाले और चोर का दर्जा दे दिया गया है।
- इनके साथ अछूतों का बर्ताव होता है। न इन्हें रहने के लिए घर मिलता है और न ही नौकरी।
- अपमान से परेशान होकर यूरोप के पूर्वी देशों के हजारों रोमा पश्चिमी यूरोप के जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड और बेल्जियम जैसे देशों में शरण मांगने लगे थे।
अलग-अलग मजहब से जुड़े
- रोमा समुदाय के लोग मूल रूप से हिंदू धर्म को मानने वाले थे। भारत से ईरान के रास्ते यूरोप माइग्रेंट होने के बाद इन्होंने अलग धर्म अपना लिया।
- रोमा समुदाय के कुछ लोग ईसाई और कुछ मुस्लिम धर्म का पालन कर रहे हैं। इनकी संस्कृति भी अलग-अलग मजहबों से प्रभावित है।