सन्दर्भ:- भारत और पाकिस्तान को जून में एससीओ की सालाना बैठक में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल किए जाने की उम्मीद है
- छह सदस्यीय शंघायी सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत और पाकिस्तान को सदस्य बनाने से दोनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने और आपसी मतभेदों को सुलझाने में मदद मिलेगी.
- दोनों देश एससीओ की सदस्यता पाने के लिए इसके समझौतों और संधियों का पालन करेंगे जिससे दोनों के संबंध में सुधार आएगा.
- ‘एससीओ की सदस्यता पाने के लिए हमेशा लड़ने वाले भारत और पाकिस्तान को न केवल दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने होंगे, बल्कि एससीओ के कानूनों का भी पालन करना होगा.
- इनमें सीमा रक्षा सहयोग समझौता भी शामिल होगा जिस पर एससीओ के सदस्य देशों ने 2015 में हस्ताक्षर किए थे.’
- एससीओ कानून के तहत यह भी प्रावधान है कि अगर सदस्य देशों के बीच टकराव आता है तो तीसरा देश मध्यस्थता कर सकता है.
- ऐसे में ‘संभव है कि भारत एससीओ देशों के साथ बहुसदस्यीय समझौते को लेकर छूट की मांग करे, लेकिन भारत और पाकिस्तान को एससीओ के उन मूल सिद्धांतों का पालन करना होगा जो सुरक्षा और आतंकरोधी अभियान के लिए जरूरी है. यह दोनों को आपसी मतभेदों को दूर करने के लिए एक नए मंच का काम करेगा.
SCO के बारे संक्षिप्त जानकारी :-
- एससीओ का मुख्यालय बीजिंग में है और चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजकिस्तान और उज्बेकिस्तान इसके स्थायी सदस्य हैं
- वहीं, अफगानिस्तान, बेलारूस, भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तानों का दर्जा निगरानीकर्ता देशों का है.
- इस साल जून में कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में एससीओ की सालाना बैठक में भारत और पाकिस्तान को इसमें पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल किए जाने की उम्मीद है.