SCO: कारोबार और कूटनीति

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SCO Background:

SCO की स्थापना अप्रैल 1996 में चीन के शंघाई में हुई थी। उस समय चीन और रूस के अलावा मध्य एशिया के तीन देश कैजकस्तान, किर्गिस्तान और तजीकिस्तान इसके संस्थापक सदस्य थे, इसलिए तब इसका नाम शंघाई-5 रखा गया था। 2001 में उज्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद इसका नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन कर दिया गया। अब यह 8 देशों वाला एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग का मंच बन गया है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर आपसी सहयोग बढ़ाना है। 

SCO & Benefit to India:

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SCO की सदस्यता हासिल होने के बाद भारत का मध्य एशियाई देशों से संबंध और मजबूत होगा।

Ø  वहां के बाजारों में भारत का प्रवेश आसान हो जाएगा।

Ø  मध्य एशिया के देशों के पास गैस का बड़ा भंडार है। चूंकि चीन पहले ही रूस से बड़े पैमाने पर अपनी जरूरत की गैस ले रहा है, ऐसे में कैजकस्तान, तजीकिस्तान, उज्बेकिस्तान जैसे देश अपनी गैस की बिक्री के लिए भारत की ओर देख रहे हैं।

Ø  रूस और कैजकस्तान जैसे सदस्यों के साथ प्राकृतिक गैस खरीद को लेकर भारत की बातचीत पहले से ही हो रही है।

Ø  रूस से भारत तक गैस पाइपलाइन बिछाने की योजना पर भी बातचीत चल रही है।

Ø  इसी तरह भारत, किर्गिस्तान के साथ भी ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग करना चाहता है। विभिन्न देशों की ऊर्जा जरूरतों के बीच सामंजस्य बनाने के लिए एक समिति भी गठित की गई है। भारत मध्य एशियाई देशों में बड़ा निवेश कर सकता है। सा

Ø  थ ही ऊर्जा संरक्षण से जुड़ी आधुनिक टेक्नॉलजी भी इन मुल्कों को उपलब्ध करा सकता है। 

Ø  SCO की सदस्यता कूटनीतिक नजरिए से भी महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के शामिल होने से इसमें चीन का प्रभुत्व कम होगा। अब चीन, पाकिस्तान के हर कदम का आंख मूंदकर समर्थन करने से भी हिचकिचाएगा।

Ø  लेकिन चीन 'वन बेल्ट वन रोड' परियोजना को लेकर भारत पर कूटनीतिक दबाव बना सकता है।

Ø  भारत आतंकवाद के मुद्दे को उठाकर पाकिस्तान को एक्सपोज कर सकता है क्योंकि यह एक ऐसा बहुपक्षीय मसला है जिससे सभी देश पीड़ित हैं।

Ø  आतंकवाद से लड़ने के लिए सभी सदस्य देशों ने प्रस्ताव पास किया था, जिससे SCO के ऐंटी टेरर चार्टर को मजबूती मिली। माना जा रहा है कि आतंकवाद के मसले पर रूस के लिए भारत का सहयोग करना और भी आसान हो जाएगा।

अन्य मामलों में भी दोनों में सहयोग बढ़ेगा। कैजकस्तान की राजधानी अस्ताना में आयोजित SCO के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि SCO को आतंकवाद और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर काम करना चाहिए। उम्मीद है भारत की उपस्थिति से इस संगठन को एक नया तेवर मिलेगा।

 

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