क्या है धार का भोजशाला विवाद

वसंत पंचमी के नजदीक आते ही धार के भोजशाला का नाम मीडिया की सुर्खियों में आ जाता है। भोजशाला को प्रशासन एक अभेद्य किले में तब्दील कर देता है। हिन्दू संगठन और मुस्लिम संगठन दोनों पूजा और नमाज की बात पर अड़े रहते हैं और इससे प्रशासन के लिए सौहार्दता कायम करना चुनौती बन जाता है। राजनीति और धर्मनीति की आड़ में वसंत पंचमी के दिन धार की फिजाओ में डर और सन्नाटा दिखाई देता है।

- भोजशाला में मंडप के सामने स्थित प्रांगण में हर मंगलवार को हिन्दू धर्मावलंबी पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं तो मुस्लिम समाज नमाज के लिए। इसी प्रांगण में स्थित एक रचना को हवनकुंड मानकर वसंत पंचमी को यहां यज्ञ किया जाता है।

=>क्या है भोजशाला का इतिहास :~
- धार में परमार वंश के राजा भोज ने 1010 से 1055 ईसवीं तक 44 वर्ष शासन किया। उन्होंने 1034 में धार नगर में सरस्वती सदन की स्थापना की।
- यह एक महाविद्यालय था, जो बाद में भोजशाला के नाम से विख्यात हुआ। राजा भोज के शासन में ही यहां मां सरस्वती या वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई। 
- वाग्देवी की यह प्रतिमा भोजशाला के समीप खुदाई के दौरान मिली थी। इतिहासकारों की मानें तो यह प्रतिमा 1875 में हुई खुदाई में निकली थी। 1880 में भोपावर का पॉलिटिकल एजेंट मेजर किनकेड इसे अपने साथ लंदन ले गया था।

=>हुआ दरगाह का निर्माण :~
~ 1305 से 1401 के बीच अलाउद्दीन खिलजी तथा दिलावर खां गौरी की सेनाओं से माहलकदेव और गोगादेव ने युद्ध लड़ा। 1401 से 1531 में मालवा में स्वतंत्र सल्तनत की स्थापना। 1456 में महमूद खिलजी ने मौलाना कमालुद्दीन के मकबरे और दरगाह का निर्माण करवाया।

=>दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे :~
~ भोजशाला को लेकर हिन्दू और मुस्लिम संगठनों के अपने-अपने दावे हैं। हिन्दू संगठन भोजशाला को राजा भोज कालीन इमारत बताते हुए इस हिन्दू समाज का अधिकार बताते हुए इस सरस्वती का मंदिर मानते हैं। हिन्दुओं का तर्क है कि राजवंश काल में यहां मुस्लिमों को कुछ समय के लिए नमाज की अनुमति दी गई थी।

~ दूसरी तरफ मुस्लिम समाज का कहना है कि वे वर्षों से यहां नमाज पढ़ते आ रहे हैं, यह जामा मस्जिद है, जिसे भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं।

=>इन स्थानों पर है विवाद :~
~ वसंत पंचमी को हिन्दू भोजशाला के गर्भगृह में सरस्वतीजी का चित्र रखकर पूजन करते हैं। 1909 में धार रियासत द्वारा 1904 के एशिएंट मोन्यूमेंट एक्ट को लागू कर धार दरबार के गजट जिल्द में भोजशाला को संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया। बाद में भोजशाला को पुरातत्व विभाग के अधीन कर दिया गया।

~ आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के पास इसकी देखरेख का जिम्मेदारी है। धार स्टेट ने ही 1935 में परिसर में नमाज पढऩे की अनुमति दी थी। स्टेट दरबार के दीवान नाडकर ने तब भोजशाला को कमाल मौला की मस्जिद बताते हुए को शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति वाला आदेश जारी किया था। पहले भोजशाला शुक्रवार को ही खुलती थी और वहां नमाज हुआ करती थी। एएसआई के आदेश के बाद 2003 से व्यवस्थाएं बदल गईं।

- प्रति मंगलवार और बसंत पंचमी पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक हिन्दुओं को चावल और पुष्प लेकर पूजा की अनुमति और शुक्रवार को मुस्लिमों को नमाज की अनुमति दी गई। सप्ताह के शेष दिन पांच दिनों में पर्यटक एक रुपए शुल्क देकर प्रवेश कर सकते हैं। 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download