कोहिनूर(kohinoor) की कहानी

1. प्राचीन भारत की शान कोहिनूर हीरे की खोज भारत के आंध्रप्रदेश राज्य के गोलकुंडा की खदानों में हुई थी। एक समय इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था।

2. 1739 में फारसी शासक नादिर शाह भारत आया और उसने मुगल सल्तनत पर आक्रमण कर दिया। इस तरह मुगल सल्तनत का पतन हो गया और नादिर शाह अपने साथ तख्ते ताउस और कोहिनूर हीरों को पर्शिया ले गया। उसने इस हीरे का नाम कोहिनूर रखा। 

3. 1747 में नादिरशाह की हत्या हो गयी और कोहिनूर हीरा अफ़गानिस्तान शांहशाह अहमद शाह दुर्रानी के पास पहुंच गया। और उनकी मौत के बाद उनके वंशज शाह शुजा दुर्रानी के पास पहुंचा। पर कुछ समय बाद मो. शाह ने शाह शुजा को अपदस्त कर दिया

kohinoor

4. साल 1830 में अफ़ग़ानिस्तान का तत्कालीन पदच्युत शासक शूजाशाह किसी तरह कोहिनूर के साथ बच निकला और पंजाब पहुंचा। उसने यह हीरा महाराजा रणजीत सिंह को भेंट किया। इसके बदले में रणजीत सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को अपनी सेना अफ़ग़ानिस्तान भेज कर शाह शूजा को वापस गद्दी दिलाने के लिए तैयार कर लिया।

5.  महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु हो  के बाद उनके उत्तराधिकारी ने सिख वार में मदद करने के एवज में 1849 में कोहिनूर हीरा मुआवजे के तौर पर ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया

6. भारत अकेला देश नहीं है जो इस हीरे पर दावा जता रहा है। अपने लंबे सफर के बाद यह हीरा कई राजाओं के हाथों से गुजरा है। साल 1976 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री जिम कैलेघन से इसे उनके देश को लौटाने का अनुरोध किया था। इसके अलावा अफगानिस्तान के तालिबान शासक और ईरान ने भी इस पर अपना दावा पेश किया है। लेकिन ब्रिटेन ने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया था।

कोहेनूर हीरा अब तक भारतीयों की स्मृति और कल्पना में बसा हुआ है। इसके पीछे उस हीरे का आकार, शुद्धता और लंबा इतिहास है। एक मायने में वह भारत के अतीत की समृद्धि और अंग्रेजों की लूट का भी प्रतीक है। इसीलिए कोहेनूर गाहे-बगाहे चर्चा में रहता है। यह भी मांग बार-बार उठती है कि कोहेनूर को वापस भारत लाया जाए। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जहां एक जनहित याचिका दायर की गई है कि कोहेनूर और अंग्रेजी राज के दौरान इंग्लैंड ले जाई गई दुर्लभ और कीमती वस्तुओं को वापस भारत लाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। 

केंद्र सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय मे तर्क

Ø   केंद्रीय संस्कृति मंत्रलय का  कहना है कि भारतीय कानून के मुताबिक, भारत सिर्फ उन चीजों पर अपना दावा पेश कर सकता है, जो यहां से चुराई गई हों। 

Ø  ईस्ट इंडिया कंपनी कोहिनूर हीरे को भारत से लूटकर नहीं ले गई थी, बल्कि सिख सम्राट महाराजा दिलीप सिंह ने उसे ब्रिटेन को उपहार में दिया था।

Ø  मंत्रलय का यह भी तर्क है कि अगर हम ऐसी भेंट पर दावा करने लगे, तो बहुत से देश हमसे भी वे चीजें मांग सकते हैं, जो हमें भेंट मिली हैं| अगर इस तरह हम अपने खजाने का बाहर के देशों से दावा करेंगे तो कल को अन्य देश भी ऐसा करेंगे

Source: hindustanlive, jagaranjosh

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