क्या है फ्री बेसिक्स

- इस सर्विस को कोई भी यूजर्स अपने एंड्राइड स्मार्टफोन पर यूज कर सकता है। यहां उसे लिमिटेड सर्विस मिलती है।
- बता दें कि फेसबुक ने पहले इस सर्विस को internet.org के नाम से लॉन्च किया था।
- लेकिन, कई एक्सपर्ट्स ने इसे नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ बताया था। और नेट इस पर बहस शुरू हो गई थी।net_neutrality
- विरोध के बाद फेसबुक ने internet.org को Free Basics इंटरनेट के नाम से रिब्रांड किया।
internet.org को 2014 में लॉन्च किया गया था।

- फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने एक पोस्ट कहा था –“कम्युनिकेशन को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इससे एजुकेशन, हेल्थ और जॉब में बहुत मदद मिलेगी।”

=>रिलायंस ने फ्री बेसिक्स को कब लॉन्च किया था?

- पिछले साल अक्टूबर में इसे लॉन्च किया गया था।
- पहले यह सर्विस तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल और तेलंगाना के यूजर्स के लिए लॉन्च की गई थी।
- बाद में रिलायंस ने पूरे देश के सब्सक्राइबर्स के लिए शुरू कर दिया।

Debate_NEutrality- कोई भी मोबाइल यूजर्स फेसबुक की फ्री बेसिक्स ऐप के जरिए फेसबुक, न्यूज, क्रिकेट, जॉब्स, ट्रेन, फ्लाइट्स शेडयूल, हेल्थ, एस्ट्रोलॉजी, ओएलएक्स जैसी सीमित साइट्स और एप्स को फ्री में एक्सेस कर सकते हैं।
- यूजर्स को इनका इंटरनेट चार्ज भी नहीं देना होगा।

=>क्या है नेट न्यूट्रैलिटी?

- Net Neutrality यानी अगर आपके पास इंटरनेट प्लान है तो आप हर वेबसाइट पर हर तरह के कंटेंट को एक जैसी स्पीड के साथ एक्सेस कर सकें।

- Neutrality के मायने ये भी हैं कि चाहे आपका टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कोई भी हो, अाप एक जैसी ही स्पीड पर हर तरह का डेटा एक्सेस कर सकें।

- कुल मिलाकर, इंटरनेट पर ऐसी आजादी जिसमें स्पीड या एक्सेस को लेकर किसी तरह की कोई रुकावट न हो।

- Net Neutrality टर्मिनोलॉजी का इस्तेमाल सबसे पहले 2003 में हुआ। तब काेलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिम वू ने कहा था कि इंटरनेट पर जब सरकारें और टेलीकॉम कंपनियां डेटा एक्सेस को लेकर कोई भेदभाव नहीं करेंगी, तब वह Net Neutrality कहलाएगी।

- नेट कम्युनिटी का दावा है कि अगर कंपनियों फ्री बेसिक्स जैसा मॉडल अपनातीं तो यूज़र्स को हर एक्स्ट्रा साइट या ऐप के लिए अलग चार्ज देना पड़ता या उन्हें नेट की स्पीड काफी कम मिलती।

=>"पहले भी उठा था मामला : एयरटेल ज़ीरो"

- इसके पहले एयरटेल ने अपने यूज़र्स के लिए ‘एयरटेल ज़ीरो’ प्लान का फ्लिपकार्ट जैसी कुछ कंपनियों के साथ करार किया था।
- बताया गया था कि यह प्लान लेने से यूज़र्स कुछ ऐप्स का फ्री में इस्तेमाल कर पाएंगे।
- ऐसे ऐप्स का चार्ज यूज़र से न लेकर उन कंपनियों से लिया जाएगा जिनका एयरटेल से करार होगा।
- इसका इंटरनेट कम्युनिटी ने विरोध किया। अप्रैल में ही सोशल मीडिया पर विरोध के बाद फ्लिपकार्ट ने ज़ीरो प्लान से हाथ खींच लिए थे।

- 51 हजार लोगों ने फ्लिपकार्ट के ऐप की रेटिंग घटाकर 1 कर दी थी। हजारों लोगों ने ऐप ही डिलीट कर दिया था।
- क्लियरट्रिप कंपनी ने भी इंटरनेट डॉट ओआरजी से खुद को अलग कर लिया था।
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- टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने नेट न्यूट्रैलिटी के सपोर्ट में फैसला लिया है। ट्राई ने कहा कि भारत में इंटरनेट डेटा के लिए डिफरेंट प्राइसिंग नहीं हो सकती। अगर नेट न्यूट्रैलिटी से जुड़े नियमों को कोई सर्विस प्रोवाइडर तोड़ता है तो उसे हर दिन 50 हजार रुपए का हर्जाना देना होगा।

=>अथॉरिटी ने अपने फैसले में और क्या कहा...

- ट्राई के चेयरमैन राम सेवक शर्मा ने बताया, ‘सर्विस प्रोवाइडर अलग-अलग कंटेंट के लिए डिफरेंट टैरिफ नहीं बना सकते। इस बारे में आज नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है जो तुरंत लागू हो गया है।’
- ‘यदि कोई सर्विस प्रोवाइडर अलग-अलग टैरिफ लाता है, तो ट्राई उसे ट्रैरिफ वापस लेने के ऑर्डर दे सकता है। यदि कोई सर्विस प्रोवाइडर नियमों को तोड़ता है तो उसे हर दिन के 50 हजार रुपए देना होगा।’
- ट्राई ने डेटा सर्विस के लिए डिफरेंट प्राइसिंग के मुद्दे पर लोगों से सजेशन मांगे थे। इसके लिए अपनी वेबसाइट पर कंसल्टेशन पेपर डाला था। 
- अथॉरिटी के मुताबिक, 24 लाख लोगों ने इस पर अपने रिएक्शन दिए हैं।

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