#Editorial Indian Express
IT Sector in Crisis
मेक इन इंडिया कार्यक्रम ठीक उसी क्षेत्र में लड़खड़ाता हुआ दिख रहा है जिसके बारे में यह अनुमान लगाया जाता था कि वह भविष्य की चुनौतियों का सामना सबसे बेहतर तरीके से कर सकता है. भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र (आईटी सेक्टर) के विकास की इमारत मुख्य रूप से निजी कंपनियों की बुनियाद पर खड़ी है. लेकिन इस वक्त इन कंपनियों के हजारों कर्मचारियों पर छंटनी का खतरा मंडरा रहा है.
Report on IT Jobs:
Ø माना जा रहा है कि इस साल देश की आईटी कंपनियां तकरीबन 56 हजार कर्मचारियों की छंटनी कर सकती हैं. हालांकि भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों के संगठन नैसकॉम ने इसे बढ़ा-चढ़ा अनुमान बताया है.
Ø संगठन के मुताबिक रोजगार पैदा करने में आज भी आईटी सेक्टर की अहम हिस्सेदारी है, फिर भी वह मानता है कि 2008 के वॉल स्ट्रीट संकट के बाद पैदा हुई मंदी के चलते कंपनियों द्वारा अपने राजस्व की तुलना में नौकरियां देने की दर लगातार कम हुई है.
Ø दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच1बी वीजा से जुड़े नियमों की सख्ती से भी कंपनियों के राजस्व पर असर पड़ना तय है. इसके चलते इन्फोसिस ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए घोषणा की है कि वह अमेरिका में चार टेक्नोलॉजी सेंटर स्थापित करेगी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे क्षेत्रों में दस हजार अमेरिकियों को नौकरी देगी.
Ø रिक्रूटमेंट फर्म हेड हंटर्स इंडिया ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसने छंटनी के आंकड़े को और बढ़ाकर दिखाया है. इसमें अनुमान लगाया गया है कि भारतीय आईटी सेक्टर अगले तीन सालों में हर साल 1.75 हजार से दो लाख तक कर्मचारियों की छंटनी करेगा. फर्म के मुताबिक इस छंटनी की मुख्य वजह यह होगी कि कंपनियां तेजी से बदलते बाजार के मुताबिक अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित नहीं कर पाएंगी.
Reason for these job losses
Ø परंपरागत रूप से आईटी सेक्टर पहले पर्सनल कंप्यूटर पर केंद्रित था, फिर इसकी जगह मोबाइल फोन ने ले ली. इसके बाद क्लाउड कंप्यूटिंग सिस्टम आ गया और अब हर जरूरत के लिए ऐप का विकास हो रहा है. इस तरह आईटी सेक्टर बुनियादी तौर पर बदल रहा है. अब आईटी सेक्टर में नैनो टेक्टनोलॉजी, रोबोटिक्स, थ्रीडी प्रिंटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे कई क्षेत्रों का तेजी से विस्तार हो रहा है, इस क्रम में जो पुराने ढर्रे की कंपनियां और कर्मचारी हैं, वे पीछे छूट जाएंगे.
Ø आईटी सेक्टर में हलचल मचाने वाले ये कारक जल्द ही दूसरे क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे और इनकी वजह से और दूसरे रोजगार भी खतरे में पड़ जाएंगे. आज से कुछ समय पहले की ही बात है जब ट्रेवल एजेंट या स्टेनोग्राफर जैसी नौकरियां बहुतायत में पाई जाती थीं लेकिन आज ऑनलाइन टिकट और टूर बुक करने से लेकर टाइपिंग जैसी चीजें इतनी आम हो गई हैं कि ये नौकरियां तकरीबन खत्म हो चुकी हैं.
Ø कुछ ही सालों में अपनी वेबसाइट तैयार करना इतना आसान होने जा रहा है कि कोई भी व्यक्ति यह काम आसानी से कर पाएगा. जाहिर है इससे आईटी सेक्टर की निचले दर्जे की हजारों नौकरियां खत्म हो जाएंगी. स्वचालित इलेक्ट्रिक कारों का भी व्यवहारिक इस्तेमाल ज्यादा दूर नहीं हैं. इनके सड़कों पर उतरने के बाद भी कई रोजगार खत्म होंगे. पिछले दिनों आईबीएम ने वाट्सन नाम का सुपर कंप्यूटर विकसित कर लिया है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस है और जो सॉफ्टवेयर के माध्यम से किसी भी समस्या का विश्लेषण कर सकता है. इससे कोई भी सवाल किया जा सकता है और यह ठीक इंसानों की तरह सोच-विचारकर उसका सही जवाब दे सकता है. बड़ी संख्या में वकील इस सुपर कंप्यूटर से आशंकित हैं क्योंकि यह कानूनी पेचीदगियों को आसानी से समझा सकता है. यानी इसके चलन में आने से उनकी आमदनी कम हो सकती है.
What to be done:
इतनी ज्यादा छंटनी होने और नौकरियों के कम होने के बाद जो लोग बचेंगे उन्हें नई तकनीक में प्रशिक्षित किया जा सकता है ताकि उन्हें स्वचालित मशीनों के विकास के काम में लगाया जा सके. भविष्य में सर्जन्स को सिर्फ यह जिम्मेदारी मिल सकती है कि वे सर्जरी करने वाले रोबोटों पर निगाह रखें. इससे उनके रोजगार में भी कटौती होगी. यह भी हो सकता है उन्हें फिर ऐसे रोबोट डिजाइन करने वाली प्रयोगशालाओं में ही नौकरी मिले या फिर यहां भी उनके लिए काम के मौके खत्म हो जाएं.
ये ऐसे वास्तविक मुद्दे हैं जिन पर कंपनियों को सोचना होगा ताकि वे प्रतिस्पर्धा में बनी रहें. ये भविष्य में लगने वाले अवश्यंभावी लेकिन अनिश्चित झटके हैं सो सामाजिक तानेबाने को बचाए रखने के लिए सरकार को रचनात्मक तरीके से दखल देने की जरूरत है. इस समय आईटी सेक्टर में जो अनपेक्षित हलचल दिखाई दे रही है उसे पूर्व चेतावनी की तरह समझा जा सकता है, लेकिन भविष्य में अर्थव्यवस्था के दूसरे क्षेत्रों में जो दिक्कतें पैदा हो सकती हैं, उनका सामना करने की तैयारी का यह मौका भी है