क्या है NSEL घोटाला?

 हजारों इन्वेस्टर्स, कंपनियों और एमएमटीसी और पीईसी जैसी पीएसयू ने ऊंचे रिटर्न वाले एक कॉम्प्लेक्स फाइनैंशल प्रॉडक्ट में इन्वेस्ट किया। उनका पैसा इसमें फंस गया है। इस प्रॉडक्ट को ब्रोकर पिछले कुछ वर्षों से इन्वेस्टर्स को बेच रहे थे।

=>क्या थी डील?‌
★इन्वेस्टर्स वेयरहाउस में रखी गई कस्टर सीड, ऊन, चीनी जैसी कमोडिटी 25-36 दिन के लिए लोन देते थे। यह डील नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) पर होती थी। इस प्लेटफॉर्म पर इन्वेस्टर्स और बॉरोअर्स के ऑर्डर मैच किए जाते थे। इसमें 15-16 फीसदी तक का रिटर्न मिलता था।

=>एनएसईएल क्या है?
★यह स्पॉट कमोडिटी एक्सचेंज है। इसके बारे में 31 जुलाई, 2013 के डिफॉल्ट से पहले बहुत कम लोग जानते थे। दूसरे एक्सचेंज के उलट इसे गवर्न करने के लिए नियम नहीं बने थे। एक्सचेंज को चलाने वाले इस खामी का फायदा उठाते थे।

=>लेकिन बॉरोअर एनएसईएल के जरिए पैसा क्यों जुटाते थे?
 इन्वेस्टर्स उन्हें सीधे उधार दे सकते थे। लुधियाना या कानपुर के किसी कमोडिटी ट्रेडर को कोई इनवेस्टर सीधे उधार नहीं देगा और न कोई बैंक इनको लोन ऑफर करेगा, लेकिन बीच में एक्सचेंज होने पर इन्वेस्टर्स को डिफॉल्ट का कोई डर नहीं होगा।

=>इतने समय तक यह गोरखधंधा चला कैसे?
★इसकी शुरुआत दो कॉन्ट्रैक्ट - टी प्लस 2 और टी प्लस 25 से हुई थी। टी प्लस 2 मतलब पैसा ट्रेड के दो दिन बाद इन्वेस्टर्स से बॉरोअर के पास जाता। इसमें इन्वेस्टर को उसके पैसे के बदले ब्रोकर्स से एक लेटर मिलता था। 
★लेटर में लिखा होता था कि इतनी कमोडिटी एक वेयरहाउस में रखी है। यह लेटर एनएसईएल के पास जमा वेयरहाउस रिसीट पर जारी होता थी। 25 दिन बाद बॉरोअर उधार चुकाता और अपनी रिसीट वापस ले लेता। लेकिन साइकल यहीं खत्म नहीं होता था। बॉरोअर 25 दिन बाद इनवेस्टर को ब्याज चुकाता था और दोनों पार्टी नया कॉन्ट्रैक्ट करके पोजिशन को रोलओवर कर लेते थे। यह सिलसिला महीनों चला।

=>कहानी खत्म कैसे हो गई?
बाद में सरकार ने एनएसईएल को कोई नया कॉन्ट्रैक्ट जारी नहीं करने के लिए कहा। इसके चलते पोजिशन रोलओवर नहीं हो पाए। एक साल पहले कमोडिटी मार्केट रेग्युलेटर ने इन कॉन्ट्रैक्ट्स को गैरकानूनी करार देते हुए एक्सचेंज को चेतावनी दी थी। लेकिन कइयों को लगा कि कोई न कोई रास्ता निकल आएगा। अंत में सरकार ने घबराकर एक्सचेंज को बंद करा दिया।

=>लेकिन डिफॉल्ट हुए क्यों? क्या इनवेस्टर्स का पैसा लौटाने के लिए कमोडिटी स्टॉक बेचा नहीं जा सका?

★स्टॉक में कोई कमोडिटी थी ही नहीं। यही तो घोटाले की जड़ थी। वेयरहाउस रिसीट फर्जी थी और गोदाम खाली थे। बॉरोअर्स ने एक्सचेंज के जरिए जुटाया पैसा प्रॉपर्टी में लगा दिया था। एक बॉरोअर ने तो पूरा पैसा दुबई में अपने बेटे के पास भेज दिया था।

=>क्या इनवेस्टर्स के लिए कुछ उम्मीद है?
इनवेस्टर्स, एनएसईएल के प्रमोटर्स और मुंबई पुलिस बॉरोअर्स की प्रॉपर्टी जब्त कराने की कोशिश में जुटे हैं। इसमें लंबा वक्त लग सकता है और पूरा पैसा शायद रिकवर नहीं हो पाएगा।

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