सड़क दुर्घटनाएं और भारत ; कारण और निदान

दुनिया में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं भारत में होती हैं। सड़क हादसों में जान गंवाने और घायल होने वालों का आंकड़ा भी सबसे ज्यादा भारत में ही है। संसद में पेश परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्थायी संसदीय समिति के तमाम सुझावों का लब्बोलुआब यह है कि इस समस्या से कड़ाई से निपटा जाना चाहिए। इस मामले में भारत की हालत क्या है इसका अंदाजा रिपोर्ट में उल्लिखित एक तथ्य से लगाया जा सकता है।

  • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की सूचना के मुताबिक वर्ष 2015 में सड़क दुर्घटनाओं में 1.46 लाख लोगों की मृत्यु हुई थी और करीब तीन लाख लोग घायल हुए।
  •  दुनिया भर की सड़क दुर्घटनाओं में अकेले भारत का हिस्सा दस फीसद है। देश में सड़क हादसों में मरने वालों में लगभग आधे लोग मोटरसाइकिल और साइकिल से चलने वाले तथा पैदल राहगीर होते हैं।
  • यह आम धारणा है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं की तादाद सबसे अधिक होना एक लिहाज से स्वाभाविक है, क्योंकि चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। पर यहां आबादी के अनुपात में, यानी प्रति एक लाख या प्रति दस लाख आबादी के बरक्स भी सड़क हादसों की दर बहुत ज्यादा है।

ऐसी स्थिति क्यों है? इसके कई कारण हैं।

  1. सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं वाहन चालकों की लापरवाही और चूक तथा नियम-कायदों की अनदेखी की वजह से होती हैं।
  2.  भारत में जहां निर्धारित अधिकतम सीमा से ज्यादा रफ्तार से गाड़ी चलाने तथा शराब पीकर गाड़ी चलाने की प्रवृत्ति बढ़ती गई है, वहीं अन्य नियम-कायदों का भी स्वेच्छा से पालन नागरिक-बोध का अंग नहीं बन पाया है।
  3.  कुछ और भी वजहें हैं। जैसे सड़कों पर गड्ढे होना
  4.  पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था न होना
  5.  यातायात पर निगरानी और यातायात संकेतों का न होना या उनका ठीक से काम न करना, आदि।
  6. अमूमन सभी जगह सब तरह के मुसाफिर एक ही समय सारी सड़कों का इस्तेमाल कर रहे होते हैं- ट्रक व बस ड्राइवर से लेकर कार चालक-टैक्सी चालक, आटो चालक, मोटरसाइकिल व स्कूटर चालक, बैटरी रिक्शा चालक, रिक्शा चालक, साइकिल चालक व पैदल राहगीर
  7.  विभिन्न श्रेणियों के मद्देनजर सड़कों-गलियों तथा पार्किंग व ठहराव-स्थलों की योजना बने, तो आवाजाही को आज के मुकाबले काफी सुविधाजनक व सुरक्षित बनाया जा सकता है।
  8. भारत में सड़क दुर्घटनाओं की प्रमुख वजहों में एक यह भी है कि तकनीकी खराबी के बावजूद वाहन का इस्तेमाल होता रहता है।
  9. इसके अलावा, अपात्रों को भी आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाते हैं। जाहिर है, तकनीकी खामी की सूरत में वाहन चलाने पर सख्ती बरतनी होगी।

क्या करना होगा

नशे की हालत में गाड़ी चलाने पर कार्रवाई का स्तर बढ़ाना होगा। सड़कों की दशा सुधारनी होगी। यह सुनिश्चित करना होगा कि यातायात को नियंत्रित करने वाले पर्याप्त संकेत हों तथा वे ठीक से काम कर रहे हों। वाहनों की समयबद्ध तकनीकी जांच हो। विभिन्न श्रेणियों के मुसाफिरों व विभिन्न वाहनों को ध्यान में रख कर यातायात-सुरक्षा की योजना बनाई जाए। ब्लैक स्पाट्स यानी ऐसे स्थानों की पहचान करनी होगी, जहां दुर्घटना का अंदेशा ज्यादा रहता है। इस सब के साथ-साथ सड़क हादसे का शिकार होने वाले व्यक्ति की मदद के लिए आपात चिकित्सा की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

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