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Special status to Kashmir Article 35A & Article 370
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‘वी द सिटिजंस’ नाम की एक गैर-सरकारी संस्था ने जनहित याचिका दाखिल की है. इस याचिका में संविधान के Article 35A & Article 370 को यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि इन प्रावधानों के चलते जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य के कई लोगों को उनके मौलिक अधिकारों तक से वंचित कर रही है. सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए तीन जजों की एक पीठ गठित करने की बात कही है जो छह हफ़्तों के बाद इस पर सुनवाई शुरू करेगी.
मामला क्या है?
- जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में Article 370 पर तो अक्सर सवाल उठाए जाते हैं लेकिन Article 35A शायद ही कभी चर्चा का विषय बनता है.
- यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर विधानसभा को कई तरह के विशेषाधिकार तो देता है लेकिन इसके चलते वहां के लाखों लोग हाशिये पर भी धकेल दिए गए हैं. अनुच्छेद 35ए और इसके प्रभावों को शुरुआत से समझते हैं.
What is Article 35A
‘14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा एक आदेश पारित किया गया था. इस आदेश के जरिये भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35ए जोड़ दिया गया
- article 35A जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को यह अधिकार देता है कि वह ‘स्थायी नागरिक’ की परिभाषा तय कर सके और उन्हें चिन्हित कर विभिन्न विशेषाधिकार भी दे सके.
- यह अनुच्छेद परोक्ष रूप से विधानसभा को यह अधिकार भी दे देता है कि वह लाखों लोगों को ‘स्थायी नागरिक’ की परिभाषा से बाहर रख सके और उन्हें हमेशा के लिए शरणार्थी बनाए रखे.’
- article 35A (कैपिटल ए) का जिक्र संविधान की किसी भी किताब में नहीं मिलता. हालांकि संविधान में article 35A (स्मॉल ए) जरूर है, लेकिन इसका जम्मू-कश्मीर से कोई सीधा संबंध नहीं है
- भारतीय संविधान में आज तक जितने भी संशोधन हुए हैं, सबका जिक्र संविधान की किताबों में होता है. लेकिन 35ए कहीं भी नज़र नहीं आता. दरअसल इसे संविधान के मुख्य भाग में नहीं बल्कि परिशिष्ट (अपेंडिक्स) में शामिल किया गया है.
- भारतीय संविधान का बहुचर्चित अनुच्छेद - 370 जम्मू-कश्मीर को कई विशेष अधिकार देता है. 1954 के जिस आदेश से article 35A को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश भी राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत ही दिया था.
The big question?
Article 35A की संवैधानिक स्थिति क्या है? यह अनुच्छेद भारतीय संविधान का हिस्सा है या नहीं? क्या राष्ट्रपति के एक आदेश से इस अनुच्छेद को संविधान में जोड़ देना अनुच्छेद 370 का दुरूपयोग करना है? इन्हीं तमाम सवालों को लेकर ‘वी द सिटिजंस’ ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की है