देश में औसतन हर साल 30 हजार हेक्टेयर खेती योग्य भूमि कम होने और 13 राज्यों के गंभीर सूखे की चपेट में आने के बीच पर्यावरणविदों ने सरकार से मांग की है कि सूखे की समस्या के निपटारे के लिए दीर्घाकालीन पहल करने की जरूरत है और देशभर में जलधाराओं, पुराने जलाशयों, कुओं को जीवंत बनाये जाने की जरूरत है।
- देशभर में लाखों की संख्या में तालाबों और कुओं को जीवंत बनाने की जरूरत को रेखांकित किया है।
★इस साल हालांकि अच्छे मानसून का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान ने संसद में बताया है कि देश में खेती योग्य भूमि में हर साल औसतन 30 हजार हेक्टेयर की कमी हो रही है लेकिन यह स्थिति चिंताजनक नहीं है। इस मामूली गिरावट के बाद भी कुल उत्पादकता प्रभावित नहीं हुयी है।
★ भू.उपयोग सांख्यिकी की रिपोर्ट के अनुसार देश में खेती योग्य भूमि 2010.11 में 18.201 करोड़ हेक्टेयर से मामूली सा घटकर 2011.12 में 18.196 करोड़ हेक्टेयर हो गयी है।
- 2012.13 में यह 18.195 करोड़ हेक्टेयर हो गयी।
★भारत में कृषि के लिए सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की है और सिर्फ 45 प्रतिशत भूमि ही सिंचित है। देश के 13 राज्यों के 306 गांवों में सूखे की स्थिति है और इससे 4, 42, 560 लोग प्रभावित हुए हैं।
★जल क्षेत्र की संस्था सहस्त्रधारा की रिपोर्ट के मुताबिक, पृथ्वी पर जितना जल उपलब्ध है, उसमें से 97.3 प्रतिशत लवणयुक्त है और शेष 2.7 प्रतिशत ताजा जल है।
★इस 2.7 प्रतिशत ताजा जल में से 2.1 प्रतिशत बर्फ के रूप में और 0.6 प्रतिशत तरल जल के रूप में उपलब्ध हैं । इस 0.6 प्रतिशत तरल जल में 98 प्रतिशत भूजल और 2 प्रतिशत सतही जल है।
★पर्यावरणविदों का कहना है कि यह गंभीर स्थिति का संकेत कर रही है क्योंकि भूजल स्तर लगातार नीचे गिर रहा है और देश के बड़े भूभाग में सूखे की समस्या के कारण स्थिति गंभीर होती जा रही है।
★ जल को समवर्ती सूची के अंतर्गत ले लेना चाहिये ताकि केंद्र के हाथ में कुछ संवैधानिक शक्ति आ जायें। इससे देश में जल से जुड़ी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी। साथ ही राष्ट्रीय संसाधनों का राष्ट्रीय हित में उपयोग निश्चित ही लाभकारी रहेगा।